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राशियों के अनुसार करे ज्योर्तिलिंग शिव पूजा 7. तुला राशि - रामेश्वर ज्योर्तिलिंग शिव पूजा


राशियों के अनुसार करे ज्योर्तिलिंग शिव पूजा
7. तुला राशि - रामेश्वर ज्योर्तिलिंग शिव पूजा














तुला राशि वाले करें रामेश्वर ज्योर्तिलिंग की पूजा - तमिलनाडु स्थित भगवान राम द्वारा स्थापित रामेश्वर ज्योर्तिलिंग का संबंध तुला राशि से है। भगवन राम ने सीता की तलाश में समुद्र पर सेतु निर्माण के लिए इस ज्योर्तिलिंग की स्थापना की थी। महाशिवरात्रि के दिन इनके दर्शन से दांपत्य जीवन में प्रेम और सद्भाव बना रहता है। जो लोग इस दिन रामेश्वर ज्योर्तिलिंग का दर्शन नहीं कर सकें वह दूध में बताशा मिलाकर शिवलिंग को स्नान कराएं और आक का फूल शिव को अर्पित करें। 


तुला राशि के लिए शिव मंत्र  - शिव पंचाक्षरी मंत्र  श्ओम नमः शिवायः का 108 बार जप करें। पूजा से लाभ - इस प्रकार शिव की पूजा करने से कार्यक्षेत्र में आने वाली परेशानी दूर होती है। पिता के साथ मधुर संबंध बने रहते हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्घि होती है। जो लोग अभिनय अथवा संगीत की दुनिया में कैरियर बनाना चाहते हैं उनके लिए इस प्रकार शिव की पूजा करना लाभप्रद रहता है।












तुला राशि ( रि रू रे रो ति तु ते)   राशि चक्र की सातवीं राशि है। इस राशि का चिह्न  हाथ में तराजू लिए आदमी है। तुला, सूर्य के क्रांतिपथ में कन्या और वृश्चिक के बीच रहने वाली राशि है। तुला राशि का देशांतरीय विस्तार 14.4 से 16 घंटा है जबकि अक्षांशीय विस्तार भूमध्य रेखा से 30 डिग्री दक्षिण है। राशि स्वामी- शुक्रशुभ रत्न- हीरा इस राशि का सकारात्मक पहलू है 



अत्यधिक पैसा कमाने के लिए उत्सुक रहना। व्यापार में कुशलता का प्रदर्शन। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भी इन्हें सफलता मिलती है।मस्तिष्क संतुलत होता है। ये जासूसी में भी काफी आगे होते हैं।कला के क्षेत्र में से भी इनका विशेष लगाव होता है।नृत्य एवं रंगमंच में कामयाब होते है दिखने में सामान्य होते हैं। आमतौर पर यह राशि आयुष्मान होती है।
















.रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग  - 
रामेश्वर / रामेवरम/श्री रामलिंगेवर ज्योतिर्लिंग  हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है यह हिन्दुओं के चार धामों में से एक धाम है यह तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित है श्री रामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु प्रांत के रामनाड जिले में है यहां लंका विजय के पश्चात भगवान श्रीराम ने अपने अराध्यदेव शंकर की पूजा की थी मन्नार की खाड़ी में स्थित द्वीप जहां भगवान राम का लोक-प्रसिद्ध विशाल मंदिर है श्री रामेश्वर जी का मंदिर एक हजार फुट लम्बा, छः सौ पचास फुट चैड़ा तथा एक सौ पच्चीस फुट ऊँचा है  












चालीस-चालीस फुट ऊंचे दो पत्थरों पर चालीस फुट लंबे एक पत्थर को इतने सलीके से लगाया गया है कि दर्शक आश्र्चयचकित हो जाते हैं विशाल पत्थरों से मंदिर का निमार्ण किया गया है माना जाता है कि ये पत्थर श्रीलंका से नावों पर लाये गये हैं इस मंदिर में एक हाथ से अधिक ऊंची शिव जी की लिंग मूर्ति स्.थापित है नन्दी जी की भी एक विशाल और बहुत आकर्षक मूर्ति लगायी गई है उत्तराखंड के गंगोत्री से गंगाजल लेकर श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है












रामेश्वरम् के मंदिर की भव्यता उसके सहस्त्रों  स्तंभों वाले बरामदे के कारण है यह 4000 फुट लंबा है लगभग 690 फुट की अव्यवहित दूरी तक इन स्तंभों की लगातार पंक्तियां देखकर जिस भव्य तथा अनोखे दृश्य का आंखों को ज्ञान होता है वह अविस्मरणीय है भारतीय वास्तु के विद्वान फर्गुसन के मत में रामेश्वरम् मंदिर की कला में द्रविड़ शैली के सर्वोत्तम सौंदर्य तथा उसके दोषों दोनों का ही समावेश है ज्यांतिर्लिंग की स्.थापना मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम ने स्वयं अपने हाथों से की थी श्री राम ने जब रावण के वध हेतु लंका पर चढ़ाई की थी तो यहंा पहुंचने पर विजय श्री की प्राप्ति हेतु उन्होंने समुद्र के किनारे बालका (रेत) का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की थी  











लोक कल्याण की भावना से ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए वहंा निवास तब हुआ जब श्रीराम ने विधि-विधान से शिवलिंग की स्ािापना की और उनकी पूजा करने के बाद शिव का यशोगान किया श्री रामेश्वर मंदिर में परिसर के भीतर ही चैबीस कुएं हैं जिनको तीर्थ कहा जाता है इनके जल से स्नान करने से स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग दक्षिण भारत के समुद्र तट पर अवस्थित है रामेश्वरम में होने वाले वार्षिकोत्सव का विशेष महत्व है इस दिन रामेश्वर ज्योतिर्लिंग को चंादी के त्रिपुंड और श्वेत उत्तरीय से अलंकृत किया जाता है















उत्तराखण्ड के गंगोत्री से गंगाजल लेकर श्रीरामेश्वरम में भगवान शिव पर चढ़ाने से समस्त पापों का नाश होता है तथा साक्षात् जीवन से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को प्राप्त कर लेता है एक मान्यता के अनुसार रामेश्वरम में विधिपूर्वक भगवान शिव की आराधना करने से मनुष्य ब्रहमहत्या जैसे पाप से भी मुक्त हो जाता है रामसेतु - भगवान राम ने जहंा धनुष मारा था उस स्थान को धनुषकोटि कहते हैं राम ने अपनी सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करने के लिए उक्त स्थान से समुद्र में एक ब्रिज बनाया था जिसका उल्लेख वाल्मिकी रामायण में मिलता है रामायण में सेतु निर्माण का जितना जीवांत और विस्तृत वर्णन मिलता है, वह कल्पना नहीं हो सकता यह सेतु कालांतर में समुद्री तूफानों आदि की चोटें खाकर टूट गया, मगर इसके अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता श्री राम की सेना में मौजूद नल-नील नाम के वानर जिस पत्थर पर उनका नाम लिखकर समुद्र मंे डाल देते थे वह तैरने लगता था इस तरह श्रीराम की सेना ने लंका के रास्ते में पुल बनाया और लंका पर हमला कर विजय हासिल की जब समुद्र पर पुल निर्माण का कार्य हो रहा था तब भगवान राम ने वहां गणेशजी और नौ ग्रहों की स्.थापना के पश्चात शिवलिंग स्.थापित किया
















राम ने श्री हनुमान को काशी से शुभ मुहूर्त में शिवलिंग लाने को कहा पर जब हनुमान शुभ मुहूर्त पर नहीं पहुंचे तब राम ने बालू का शिवलिंग बनाकर उसे यहां स्.थापित किया जब हनमान काशी से शिवलिंग लाये तो उसे उसके उत्तर दिशा की ओर स्.थापित किया इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने के बाद मेरे द्वारा स्ािापित शिवलिंग की पूजा करने पर ही भक्तजन पुण्य प्राप्त करेंगें यह शिवलिंग आज भी रामेश्वरम में स्.थापित है और भारत का एक प्रसिद्ध तीर्थ है मान्यता है कि उत्तर में जितना महत्व काशी का है, उतना ही महत्व दक्षिण में रामेश्वरम का भी है जो सनातम धर्म के चार धामों में से एक है


रामेश्वरम का मंदिर भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है श्री रामेश्वरम में 24 कुएं हैं, जिन्हेंतीर्थकहकर संबोधित किया जाता है ऐसी मान्यता है कि इन कुओं के जल से स्नान करने पर व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है यहां का जल मीठा होने से श्रद्धालु इसे पीते भी हैं ऐसी मान्यता है कि ये कुंए भगवान श्रीराम ने अपने अमोघ बाणों के द्वारा तैयार किये थे अन्य तीर्थ स्ािलों में सेतु माधव, बाइस कुण्ड, विल्लीरणि तीर्थ एकांत राम, कोदण्ड स्वामी मंदिर, सीता कुण्ड जैसे धार्मिक स्.थलों का दर्शन कर सकते हैं, वैसे रामेश्वरम केवल तीर्थस्थल ही नहीं है बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से भी दर्शनीय स्.थल है  






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