सावन का दिव्य योग -2015
कहते हैं सावन के महीने में स्वयं भगवान शिव पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं। इसलिए इस विशेष महीने में भक्तगण शिव की पूजा-अर्चना में रम जाते हैं। सावन का महीना 1 अगस्त शनिवार श्रवण नक्षत्र एवं विशेष आयुष्मान तथा सर्वार्थ सिद्दी योग के साथ शुरू हो रहा है। इस दौरान भगवान शिव एवं सभी देवताओं की उपासना, साधना की जाती है। पंचांगों में दिए गए व्रत, योग और त्यौहार इस प्रकार हैं। 01 अगस्त - आयुष्मान तथा सर्वार्थ सिद्दी योग 03 अगस्त - पहला सोमवार 08 अगस्त - सर्वार्थ सिद्दी अमृत योग 10 अगस्त - दूसरा सोमवार 11 अगस्त - प्रदोष व्रत 12 अगस्त - मास शिवरात्रि 13 अगस्त - गुरु पुष्य, अमृत सिद्दी एवं सर्वार्थ सिद्दी योग 14 अगस्त - हरियाली अमावस्या 17 अगस्त - तीसरा सोमवार एवं हरियाली तीज 18 अगस्त - चतुर्थी 19 अगस्त
नागपंचमी 21 अगस्त - श्रावणी कर्म, रक्षाबंधन 24 अगस्त - चैथा सोमवार , श्रावण मास विशेष रूप से शिव आराधना का मास है।
श्रावण मास विशेष योग और त्योहारों की सौगात तथा नव ग्रहों की स्थिति के कारण भी श्रावण मास विशेष शुभ माना जा रहा है। विभिन्न श्रावण को शिव जी से जोड़ कर इसलिए भी देखा जाता है क्योंकि श्रावण में ही वर्षा प्रकृति उत्साह का वातावरण दिखाई देता है। प्राकृतिक सम्पदा बिना मोल के प्रचुर मात्र में उपलब्ध रहती है, जो की शिव को अति प्रिय है और भक्त आसानी से इन्हे चढ़ा कर भोले नाथ को प्रसन्न कर सकते हैं। भगवन शिव को अभिषेक करके जल, दूध, बिल्व पत्र, सफेद अकड़ा विशेष रूप से चढ़कर प्रसन्न करना चाहिए। सावन के महीने में इस बार 4 सोमवार पड़ रहे हैं- 3 अगस्त, 10 अगस्त, 17 अगस्त और 24 अगस्त के साथ ही दो प्रदोष 11 अगस्त और 27 अगस्त होगा। इन दिनों में शिव मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।
ज्योतिषाचार्यो के अनुसार 36 वर्ष बाद श्रावण 29 दिन का हो रहा है। कुछ पंडितों की माने तो, इस बार दो तिथियां तृतीय चतुर्थी और त्रयोदशी चतुदर्शी तिथि एक ही दिन पड़ रही है। जबकि शुक्ल पक्ष की पंचमी दो दिन रही है। इस प्रकार दो तिथि घटी है और एक तिथि बढ़ी है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार शनिवार, श्रावण नक्षत्र आयुष्मान योग में श्रावणमास का शुभारंभ हो रहा है जो सर्वसिद्ध है और सभी वर्गो के लिए अच्छा रहेगा।
शिव भक्ति से सराबोर सावन - सावन के साथ भगवान शिव का नाम आदिकाल से जुडा हुआ है। इसीलिए श्रावण मास शिव के उपासकों के लिए भक्ति का पर्याय बन गया है। अवंतिका (उज्जैन) में सावन के हर सोमवार के दिन श्रीमहाकालेश्वर की सवारी निकलती है। वहां मास के अंतिम सोमवार की शाही सवारी विश्वविख्यात है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु वहां पहुंचकर बाबा महाकाल की इस अनूठी सवारी में भाग लेते हैं। इसके अलावा झारखंड के देवघर में पूरे महीने उत्सव का वातावरण रहता है। वहां लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज से कांवड में गंगाजल भर कर 113 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर देवघर स्थित बाबा बैजनाथ का अभिषेक करते हैं।
शक्ति का पूजन - शक्ति के पूजन के बिना शिव की अर्चना कभी भी पूर्ण नहीं होती। शक्ति प्रकृति तथा शिव परमपुरुष हैं। इन दोनों के सम्मिलन से ही सृष्टि का निर्माण हुआ है। इसीलिए सावन के मंगलवार को मंगला गौरी की पूजा करके विवाहिता स्त्रियां व्रत रखती हैं। आमतौर पर नवविवाहिताओं के लिए पांच वर्षो तक यह व्रत रखने की परंपरा है। विवाह के बाद पहले सावन में स्त्रियां मायके में अपना पहला व्रत रखती हैं। बाद के चार वर्षो में वे ससुराल में रहकर सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी के पूजन के साथ यह व्रत रखती हैं। इस व्रत के प्रताप से स्त्री के जीवन में सदा आनंद-मंगल रहता है। जिस कुआंरी कन्या की जन्म कुंडली में मंगल दोष दुर्योग बनकर पीडा दे रहा हो, उसके लिए भी मंगला गौरी का व्रत शुभ फलदायी साबित होता है। ब्रह्मवैवर्त और देवीभागवत पुराण में मंगल चंडिका के नाम से मंगला गौरी का वर्णन मिलता है। स्कंद पुराण के काशी खंड में मंगला गौरी के माहात्म्य का उल्लेख है। वाराणसी के पंचगंगा घाट के ऊपर मंगला गौरी का सुप्रसिद्ध मंदिर है। पुराणों में तो यहां तक लिखा है कि मंगला गौरी की परिक्रमा से संपूर्ण पृथ्वी की प्रदक्षिणा करने का पुण्यफल प्राप्त होता है। सावन मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को पूर्वाचल में कजली तीज का पर्व मनाया जाता है। यह वहां का प्रसिद्ध लोकोत्सव है। विवाहित बेटियों को इस अवसर पर मायके में आमंत्रित किया जाता है। इस दिन वे बडे चाव से हाथ-पैरों में मेहंदी लगाती हैं। नए वस्त्र-आभूषण धारण कर पारंपरिक लोकगीत गाते हुए झूला झूलती हैं।
हिंदू धर्म में माना जाता है कि सावन के महीने में शिवलिंग पर दही, दूध, शहद बेलपत्तार चढ़ाने से मानव के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही मनोकामना भी पूर्ण होती है। एनआइटी में महिलाओं ने सावन का पहला सोमवार होने के कारण मंदिरों में शिवलिंग पर दूध, दही, शहद चढ़ाया और भगवान शंकर से मनोकामना पूर्ण करने के लिए प्रार्थना की। गुरु पूर्णिमा होने के कारण श्रद्धालुओं ने मंदिरों में जाकर अपने गुरु के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया और उनकी पूजा की।
सावन के सोमवार का व्रत संपूर्ण उत्तर भारत में अत्यंत लोकप्रिय है। स्त्री-पुरुष बडी श्रद्धा के साथ इस महीने में हर सोमवार को व्रत रखते हैं। जो भक्त ऐसा नहीं कर पाते वे महीने के पहले और अंतिम सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति भावना प्रकट करते हैं। इस व्रत में गौरी-शंकर का पूजन, रुद्राभिषेक तथा सायं प्रदोषकाल में अर्चना करने के बाद भोजन ग्रहण करने का विधान है। सावन के सोमवार का व्रत चिंताहरण करके भक्तों की मनोकामना पूर्ण करता है।
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