श्री
स्थिरमन गणेश - उज्जैन
श्री
स्थिरमन गणेश एक
अति प्राचीन गणपति
मंदिर जो कि
उज्जैन में स्थित
है । इस
मंदिर एवं गणपति
की विशेषता यह
है कि वे न
तो दूर्वा और
न ही मोदक
और लडडू से
प्रसन्न होते हैं
उनको गुड़ की एक
डली से प्रसन्न
किया जाता है
। गुड़ के
साथ नारियल अर्पित
करने से गणपति
प्रसन्न हो जाते
हैं और भक्तों
की झोली भर देते
हैं, हर लेते
हैं भक्तों का
हर दुःख और
साथ ही मिलती
है मन को
बहुत शान्ति ।
इस मंदिर में
सुबह गणेश जी
का सिंदूरी श्रंृगार
कर चांदी के
वक्र से सजाया
जाता है ।
यहां सुबह - शाम
आरती होती है
जिसमें शंखों एवं घंटों
की ध्वनि मन
को शांत कर देती
है । इतिहास
में वर्णन मिलता
है कि श्री
राम जब सीता
और लक्ष्मण के
साथ तरपन के
लिए उज्जैन आये
थे तो उनका
मन बहुत अस्थिर
हो गया तथा
माता सीता ने
श्रीस्थिर गणेश की
स्थापन कर पूजा
की तब श्री
राम का मन
स्थिर हुआ ।
कहा जाता है
कि राजा विक्रमादित्य
का जब मन
अस्थिर हुआ तो
गलत फैसले होने
पर वे श्रीस्थिर
गणेश मंदिर आकर
उन्होंने गणपति की आराधना
की तक कहीं
उनका मन स्थिर
हुआ तथा
ऐसी
मान्यता है कि
मंदिर की पिछली
दीवार पर उल्टा
स्वास्तिक बना कर
मान्यता मानने से मन
की कामना पूर्ण
होती है ।
मान्यता पूरी होने
पर चढ़ाना होगा
गुड़ एवं नारियल
। मंदिर परिसर
में एक बड़ा
शमी का पेड़
है जिसकी पूजा
आपकी सभी इच्छाओं
को पूरा करती
है । उज्जैन
आयें तो श्रीस्थिरमन
गणेश मंदिर जरूर
दर्शन करें ।
(डाॅं. अशोक सिंह,
महू)
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