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राशियों के अनुसार करे ज्योर्तिलिंग शिव पूजा - 3. मिथुन राशि - महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग शिव पूजा

राशियों के अनुसार करे ज्योर्तिलिंग शिव पूजा

3. मिथुन राशि - महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग शिव पूजा











मिथुन राशि ( कि कु के को ) - मिथुन राशि का स्वामी ग्रह बुध होता है। मिथुन राशि ज्योतिष के राशिचक्र में की तृतीय राशि है। इसका उद्भव मिथुन तारामंडल से माना जाता है। इस राशि के जातक बेहद समझदार होते हैं। मिथुन राशि के आराध्य देव कुबेर होते हैं। महाकालेश्वर का ध्यान करते हुए ‘‘ओम नमो भगवते रूद्राय ’’  मंत्र का यथासंभव जप करें. हरे फलों का रस, मूंग, बेलपत्र आदि चढाएं. उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग मिथुन राशि के स्वामी हैं । महाकालेश्वर  कालों के काल हैं इनकी पूजा करने वाले को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है इस राशि में जन्म लेने वाले व्यक्ति को महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग के दर्शन एवं पूजा करनी चाहिए महाकालेश्वर के शिवलिंग को दूध में शहद मिलाकर स्नान कराएं और बिल्व पत्र एवं शमी के पत्ते चढ़ायें मिथुन राशि के लिए शिव मं़त्र ‘‘ ‘‘ओम नमो भगवते रूद्राय ’’ मंत्र का यथा सम्भव जप करें



दूध से अभिषेक - शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें।  भगवान शिव के श्प्रकाशमयश् स्वरूप का मानसिक ध्यान करें   ताम्बे के पात्र में श्दूधश् भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें   श्री कामधेनवे नमरू का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें पंचाक्षरी मंत्र नमरू शिवायश् का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें   शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें   अभिषेक करते हुए सकल लोकैक गुरुर्वै नमरू मंत्र का जाप करें शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें















फलों के रस से अभिषेक - अखंड धन लाभ हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें भगवान शिव के श्नील कंठश् स्वरूप का मानसिक ध्यान करें ताम्बे के पात्र में श्गन्ने का रसश् भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें   कुबेराय नमरू का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें पंचाक्षरी मंत्र नमरू शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें शिवलिंग पर फलों का रस की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें अभिषेक करते हुए - ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा मंत्र का जाप करें शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें


महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर मंे स्थित है जो कि क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर मंदिर की अत्यन्त पुण्यदायी महŸाा है इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है ऐसी मान्यता है महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जयिनी और इस मंदिर के महत्व को बताया है मराठा शासकों ने 1728 में मालवा क्षेत्र में अपना अधिपत्य स्थापित किया इसके बाद सन् 1731 से 1809 तक उज्जैन मालवा की राजधानी बना रहा मराठों के शासनकाल में यहां दो महत्वपूर्ण घटनाएं घटी, पहली महाकालेश्वर मंदिर का पुर्निनिर्माण और ज्योतिर्लिंग की पुनप्र्रतिष्ठा तथा दूसरी सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना इसके बाद राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार करवाया  



महाशिवरा़ित्र एवं श्रावण मास में हर सोमवार को इस मंदिर में अपार भीड़ होती है उज्जैन / उज्जयिनि नगर अवन्ती राज्य की राजधानी था उज्जैन हिन्दू धर्म की सात पवित्र तथा मोक्षदायिनी नगरियों में से एक है ( अन्य छः मोक्षदायिनी नगरियों हैं - अयोध्या, वाराणसी, मथुरा, हरिद्वार, एवं कांचीपुरम) यहां हिन्दुओं का पवित्र उत्सव कुम्भ मेला 12 वर्षो में एक बार लगता है यह एक अत्यन्त प्राचीन शहर है जो कि कालिदास के राज्य की राजधानी थी यहां हर 12 वर्ष पर सिंहस्थ कुंभ मेला लगता है महाकवि कालिदास उज्जयिनी के इतिहास प्रसिद्ध सम्राट विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में से एक थे महाकवि कालिदास की मालवा के प्रति गहरी आस्था थी


वैभवशाली अटटालिकाओं, उदयन, वासवदत्ता की प्रणय गाथा, भगवान महाकाल संध्याकालीन आरती तथा नृत्य करती गौरीगनाओं के साथ ही क्षिप्रा नदी का पौराणिक महत्व आदि से भली भांति परिचित होने का अवसा भी प्राप्त किया हुआ जान पड़ता है उज्जैन शिक्षा का एक प्राचीन स्थल भी था जहां गुरूकुलों में कला एवं विज्ञान तथा वेदों का ज्ञान दिया जाता था भगवान श्री कृष्ण ने अपने भ्राता बलराम तथा सखा सुदामा के साथ यहां के संदीपनी आश्रम गुरूकुल में अध्ययन किया था सामान्यतौर पर एक नगर के लिए एक मंदिर बनाया जाता है लेकिन मंदिरों की वजह से नगर का बसाया जाना विरल ही होता है लेकिन उज्जैन में मंदिरों की संख्या को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि इस नगर को मंदिरों के लिए ही बसाया गया है यहां के सैकड़ों मंदिरों की स्वर्ण चोटियों को देखकर इस नगर को प्राचीन समय में स्वर्नरंगा भी कहा जाता था मोक्षदायक सप्तपुरियों में से एक इस उज्जैन नगर में 7 सागर तीर्थ, 28 तीर्थ, 84 सिद्धलिंग, 30 शिवलिंग, अष्ठ (8) भैरव, एकादश (11) रूद्रस्थान, सैकड़ों देवताओं के मंदिर, जलकुंड तथा स्मारक हैं , ऐसा प्रतीत होता है कि 33 करोड़ देवी देवताओं की इन्द्रपुरी इस उज्जैन नगर मंे बसी हुई है
















श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - द्वादश ज्योतिर्लिंग ऐसे बारह प्राचीन तीर्थ स्थल हैं जिनका उल्लेख शिवपुराण में मिलता है, इन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है क्यांेकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने ज्योति के रूप में स्वयं को अपने भक्तों के समक्ष प्रकट किया था आज भी कहा जाता है कि भक्तों  के समक्ष प्रकट किया था आज भी यह कहा जाता है कि भक्तों को उनके दर्शन इन स्थानों पर ज्योति के रूप में हुए हैं पौराणिक कथाओं के अनुसार दूषण नामक एक दानव ने अवन्ती के निवासियों को परेशान किया और भगवान शिव धरती से प्रकट हुए

 





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  1. यह पोस्ट पढकर बहुत अच्छा लगा । अपने बच्चे के लिए शिक्षा प्रद कहानी यहाँ पाए http://www.storiesformoralvalues.blogspot.in

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