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(33) NARTIYANG SHAKTIPEETH

(33) नारतियांग शक्तिपीठ



नारतियांग शक्तिपीठ जैतिया हिल्स मेघालय में 500 वर्ष पुराना मंदिर है । माता सती की बाईं जांघ यहां गिरी थी । यहां की देवी को जैनतेश्वरी तथा भगवान शिव को कर्मादीरेश्वर (भैरव) के नाम से पूजा जाता है । दुर्गा पूजा के दौरान बकरी और बतख की बलि दी जाती थी 


जिसे ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था । जयंतिया राजा जासो माणिक (1606-1641) लक्ष्मी नारायण, हिंदू कोच राजा नर नारायण की बेटी से शादी की थी । राजा धान माणिक .नारतियांग लगभग 600 साल पहले जैंतिया राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था । एक रात देवी ने स्वप्न में उसे दर्शन और जगह के महत्व के बारे मंे बताया और उसके सम्मान मंे एक मंदिर का निर्माण करने के लिए कहा । 













इसके बाद ही .नारतियांग में जैनतिवरी मंदिर स्थापित किया गया और तोपों की तरह हथियारों की उपस्थिती देखकर लगता था कि यह मंदिर राजाओं के किले का एक हिस्सा रहा होगा । आज भी दुर्गा पूजा के समय बकरी बलिदान की परम्परा है । लेकिन दिलचस्प बात यह है कि बकरी मानव मास्क पहनने के बाद बलि दी जाती थी ।



दुर्गा पूजा इस मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है । दुर्गा पूजा के समय एक केले के पौधे को तैयार कर देवी की पूजा की जाती है । चार दिनों का उत्सव पर बंदूकों की सलामी दी जाती है तथा बाद में इसे माइंटडू नदी प्रवाह कर दिया जाता है ।





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