(28) शारदा शक्तिपीठ - मैहर
शारदा शक्तिपीठ त्रिकुटा पहाड़ी जो
सतना जिले के मैहर शहर मध्यप्रदेश में है । यहां पर देवी सती का हार गिर गया था ।
पृथ्वी राज चैहान से योद्धाओं आल्हा उदल से युद्ध हुआ जो कि शारदा देवी के बहुत
भक्त थे ।
आल्हा ने 12 साल तक शारदा देवी की पूजा और उसे अमरत्व का आर्शिवाद मिला
। इस मंदिर के शीर्ष तक पहुंचने के लिए 1063 सीढ़ियां चढ़ना पड़ता है । शारदा देवी
मंदिर में स्थित शारदा देवी की पत्थर की मूर्ति के पैरों के पास एक प्राचीन
शिलालेख है । शारदा देवी के साथ भगवान नरसिंह की एक और प्रतिमा है । इन मूर्तियों
चैत्र कृष्ण पक्ष 14 मंगलवार, विक्रम संवत् 559 अर्थात 502 ईस्वी पर नुपुला देवा
द्वारा स्.थापित किया गया था ।
मध्यप्रदेश के सतना से 38 किलोमीटर दूर मैहर है जो
एक छोटा सा कस्बा है किन्तु मां की ख्याती ने इसे पूरे देश में प्रसिद्ध कर दिया
है । मां शारदा का धाम मैहर से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित है । पहाड़ को गोलाई में
काट कर सड़क भी बनाई गयी है । जो मंदिर के ठीक नीचे तक जाती है फिर इसके बाद लगभग
200 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं अशक्तों व वृद्धों को पहुुंचाने के लिए डोली की भी
व्यवस्था है ।
किवदंती के अनुसार राजा परमाल तथा पृथ्वीराज चैहान के युद्ध में
राजा परमाल की पराजय से क्रुदध होकर आल्हा ने पृथ्वीराज की सेना समूल नष्ट करने
हेतु तलवार खींच ली थी पर उसकी आराध्या शारदा ने उसका हाथ पकड़ लिया । जंगल में
आल्हा तथा ऊदल अखाड़ा है यहां एक ताल भी है ताल का पानी कभी नहीं घटता है किवंदती
है कि आज भी प्रतिदिन आल्हा मां शारदा को पुष्पांजलि देने आते हैं । आज भी
आल्हा-ऊदल मंदिर बन्द होने के बाद मंदिर में माता का दर्शन करने के लिये आते हैं ।
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