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(30) NAINA DEVI - SHAKTI PEETH

(30) नैना देवी शक्तिपीठ




नैना देवी शक्तिपीठ हिमाचल के बिलासपुर जिले में एक पहाड़ी पर स्थित है । इस स्थान में देवी सती की आंखें गिरी थी जब भगवान शिव सती को कंधे पर उठाकर ले जा रहे थे । महिषासुर एक शक्तिशाली असुर था जिसे वरदान प्राप्त था कि कुंवारी कन्या के हाथों ही उसका वध होगा । तीनों देवताओं ब्रहमा, विष्णु एवं महेश ने मिलकर एक नारी रूप को प्रकट किया और अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए ।  











इस देवी ने महिषासुर को युद्ध के लिए ललकारा और रण में महिषासुर का वध किया इसलिए माता का एक नाम महिषासुरमर्दनी भी है । जिस जगह पर महिषासुर का वध हुआ वह नैना देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है । पुराणों की कथा के अनुसार यहां पर देवी सती के नैन गिरे थे । इसलिए यह नैनाशक्ति शक्तिपीठ कहलाया । 











इस स्थान पर शक्तिपीठ होने की जानकारी सबसे पहले एक गुर्जर लड़के को हुई जो हर दिन यहा गाय चराने आता था । इसने देखा कि एक गाय हर दिन नियत स्थान पर जाकर खड़ी हो जाती है और उसके स्तन से दूध की धारा बहने लगती है और तब नैना देवी गुर्जर लड़के के सपन में आई और कहा की वहां मेरा पिण्ड है । मैं नैना देवी हूं । गुर्जर लड़के ने यह बात उस समय के राजा बीरचंद को बताई । 




महाराजा ने यह अदभुत नजारा देखकर आत्मविभोर हो गए और राजा बीरचंद ने नैना देवी का मंदिर बनवाया । हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ स्ािल नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के शिवलिक पर्वत की श्रेणियों पर स्थित है । मान्यता है कि यहां पर माता सती के दोनों नेत्र गिरे थे । माता नैना देवी अपने इस भव्य मंदिर में पिंडी रूप में स्ािापित है ।



 नैना देवी मंदिर के मुख्य द्वार के दाई ओर भगवान गणेश और हनुमानजी की मूर्ति है और मुख्य द्वार के पार करने के पश्चात शेर की दो प्रतिमाएं है । जिसे माता का वाहन माना जाता है । नैना देवी मंरिर के गर्भगृह में 3 मुख्य मूर्तियां हैं , जिसमें माता नैना देवी मध्य में हैं, उनके दाई और माता काली हैं, जबकि उनके बाई और गणेश ही हैं । मंदिर के समीप एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा कहा जाता है ।




चैत्र और आश्विन में होने वाली दोनों नवरात्री के अवसर पर मेले का आयोजन जिसमें भोग के रूप में माता को 56 प्रकार की वस्तुओं का भोग लगाया जाता है । आस्थावान भक्तों में मान्यता है कि इस समय यदि कोई श्रद्धा से माता की पूजा-अर्चना करता है तो उसकी सारी मुसीबतें समाप्त हो जाती हैं और वह धन, धान्य और संतान आदि का सुख प्राप्त करता है ।





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