Skip to main content

राशि अनुसार करें भगवान गणेश का पूजन - 9. धनु राशि - हरिद्रारूप गणेश ( पीले गणेश )


राशि अनुसार करें भगवान गणेश का पूजन
9. धनु राशि - हरिद्रारूप गणेश ( पीले गणेश )






भगवान गणेश आदिदेव माने गए हैं. उनका पूजन करने से धन-धान्य बढ़ता है. ज्योतिषीय राशिनुसार भगवान गणेश का पूजन और आराधना करने से सभी प्रकार की समस्याएं जैसे रोग, आर्थिक समस्या, भय, नौकरी, व्यवसाय, मकान, वाहन, विवाह, संतान, प्रमोशन आदि संबंधित सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है राशि अनुसार भगवान गणेश का पूजन करें




धनु राशि- आपको जो लोग नुकसान पहुंचा रहे हैं, उन्हें खोजने में सफल हो जाएंगे। शत्रुओं का नाश करने में सफलता मिलेगी। जीवन साथी से प्रसन्नता प्राप्त होगी एवं समान मिलेगा।  धनु राशि वाले लोगों को पीले रंग की गणेशजी की आराधना करना चाहिए।  हल्दी की पांच गठान श्री गणाधिपतये नमरू का उच्चारण कर चढ़ाना चाहिए। 



108 दूर्वा पर गीली हल्दी लगाकर श्री गजवकत्रम नमो नमरू का जाप करके चढ़ाएं।  श्रीगणेश को नित्य लड्डुओं का भोग लगाएं। इस प्रकार पूजन करने पर भगवान श्रीगणेश सभी कामनाएं पूरी करते हैं।
धनु- गणेश- हरिद्रारूप , मंत्र- हुं गं ग्लौं हरिद्रागणपतयै वरवरद दुष्ट जनहृदयं स्तम्भय स्तम्भय स्वाहा॥ भोग- मोदक केला।




जिनकी भी राशि धनु है उन्हें प्रतिदिन श्ॐ गं गणपते मंत्रश् का जप करना चाहिए. धनु राशि गुरु की राशि होती है अतरू गणेशजी को पीले फूल चढ़ाकर बेसन के लड्डुओं का भोग लगाएं. ऐसा करने से जहां समस्याएं समाप्त होंगी वहीं मनोकामनाएं भी पूर्ण होगी. धनु राशि वालों को गणेशजी के श्लक्ष्मी गणेशश् रूप की पूजा करनी चाहिए.... विशेष रू शांति और समृद्धि के लिए घर में कचरा या गंदगी ना रहने दें. पीले वस्त्र के आसन पर गणेशजी को ईशान कोन में विराजमान कर उनके समक्ष गुरुवार को घी का शुद्ध दीपक लगाएं



इस राशि के लोग धन प्राप्ति के लिए पान के पत्ते पर रोली से श्रीं लिखकर अपने पूजा स्थान पर रखे तथा रोज इसकी पूजा करें। यदि तुला राशि के लोग किसी बीमारी से परेशान हैं तो चंद्रमा को अर्घ्य दें और बीमारी के निवारण के लिए प्रार्थना करें।अमावस्या होने से चांद दिखाई नहीं देगा तो भी अर्घ्य दें। स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जप करें- ह्रीं क्लीं सौरू।



Comments

Popular posts from this blog

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ योग अनुसार आसन और प्राणायाम की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। बंध , क्रिया और मुद्रा में आसन और प्राणायाम दोनों का ही कार्य होता है। योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है। आसन से शरीर की हड्डियाँ लचीली और मजबूत होती है जबकि मुद्राओं से शारीरिक और मानसिक शक्तियों का विकास होता है। मुद्राओं का संबंध शरीर के खुद काम करने वाले अंगों और स्नायुओं से है। मुद्राओं की संख्या को लेकर काफी मतभेद पाए जाते हैं। मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। हठयोग पर आधारित इस ग्रंथ को महर्षि घेरण्ड ने लिखा था। घेरंड में 25 और हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है , लेकिन सभी योग के ग्रंथों की मुद्राओं को मिलाकर कुल 50 से 60 हस्त मुद्राएँ हैं। मानव - सरीर अनन्त रहस्यों से भरा हुआ है । शरीर की अपनी एक मुद्रामयी भाषा है । जिसे करने स...

Elephant Pearl ( Gaj Mani)

हाथी मोती ( गज मणि ) गज मणि हल्के हरे - भूरे रंग के , अंडाकार आकार का मोती , जिसकी जादुई और औषधीय  शक्ति    सर्वमान्य   है । यह हाथी मोती   एक लाख हाथियों में से एक में पाये जाने वाला मोती का एक रूप है। मोती अत्यंत दुर्लभ है और इसलिए महंगा भी है जिस किसी के पास यह होता है वह बहुत भाग्यषाली होता है इसे एक अनमोल खजाने की तरह माना गया है । इसके अलौकिक होने के प्रमाण हेतु अगर इसे साफ पानी में रखा जाए तो पानी दूधिया हो जाता है । इसी तरह अगर स्टेथोस्कोप से जांचने पर उसके दिन की धड़कन सुनी जा सकती है । अगर इसे हाथ में रखा जाता है तो थोड़ा कंपन महसूह किया जा सकता है ।   अगर गज मणि को आप नारयिल पानी में रखत हैं तो बुलबुले पैदा होने लगते हैं और पानी की मात्रा भी कम हो जाती है । चिकित्सकीय लाभ में जोड़ों के दर्द , बच्चे न पैदा होने की असमर्थता के ...

Shri Sithirman Ganesh - Ujjain

श्री स्थिरमन गणेश - उज्जैन श्री स्थिरमन गणेश   एक अति प्राचीन गणपति मंदिर जो कि उज्जैन में स्थित है । इस मंदिर एवं गणपति की विशेषता यह है कि   वे न तो दूर्वा और न ही मोदक और लडडू से प्रसन्न होते हैं उनको गुड़   की एक डली से प्रसन्न किया जाता है । गुड़ के साथ नारियल अर्पित करने से गणपति प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की झोली भर   देते हैं , हर लेते हैं भक्तों का हर दुःख और साथ ही मिलती है मन को बहुत शान्ति । इस मंदिर में सुबह गणेश जी का सिंदूरी श्रंृगार कर चांदी के वक्र से सजाया जाता है ।   यहां सुबह - शाम आरती होती है जिसमें शंखों एवं घंटों की ध्वनि मन को शांत कर   देती है । इतिहास में वर्णन मिलता है कि श्री राम जब सीता और लक्ष्मण के साथ तरपन के लिए उज्जैन आये थे तो उनका मन बहुत अस्थिर हो गया तथा माता सीता ने श्रीस्थिर गणेश की स्थापन कर पूजा की तब श्री राम का मन स्थिर हुआ ...