Skip to main content

राशि अनुसार करें भगवान गणेश का पूजन - 8. वृश्चिक राशि - वक्रतंुड गणेश ( लाल मिश्रित रंग के गणेश )


राशि अनुसार करें भगवान गणेश का पूजन 

8. वृश्चिक राशि - वक्रतंुड गणेश ( लाल मिश्रित रंग के गणेश )





भगवान गणेश आदिदेव माने गए हैं. उनका पूजन करने से धन-धान्य बढ़ता है. ज्योतिषीय राशिनुसार भगवान गणेश का पूजन और आराधना करने से सभी प्रकार की समस्याएं जैसे रोग, आर्थिक समस्या, भय, नौकरी, व्यवसाय, मकान, वाहन, विवाह, संतान, प्रमोशन आदि संबंधित सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है. राशि अनुसार आगे जानिए कि कैसे करें भगवान गणेश का पूजन




अपनी राशि के अनुसार आगे बताए गए उपाय करें। ये उपाय बहुत ही आसान हैं वृश्चिक राशिय गणेश उत्सव के समापन से पूर्व कोई बड़ा सुखद समाचार प्राप्त होगा। जमीन संबंधी लाभ मिलने की संभावनाएं है। धन की समस्या भी दूर होगी। वृश्चिक राशि वाले लोगों के लिए लाल मिश्रित श्रीगणेशजी की आराधना करना सबसे अच्छा होता है।  श्रीगणेश को लाल रंग से रंगे चावल अर्पण करें।  इस बात का विशेष ध्यान रखें कि चावलों की संख्या 108 से कम अथवा ज्यादा हो। श्री विघ्नहरण संकट हरणाय नमरू का जाप करें, जिससे समस्त मनोकामना परिपूर्ण हो सके



वृश्चिक-गणेश- वक्रतुंड , मंत्र- वक्रतुण्डाय हुं॥ , भोग- छुआरा और गुड़ के लड्डू
वृश्चिक राशि मंगल की राशि है अतः इस राशि वाले जातकों को श्वेतार्क गणेश रूप की पूजा करनी चाहिए तथा पूजा में सिंदूर और लाल फूल अर्पित करना चाहिए. उस जातक के जीवन में किसी भी प्रकार का संकट नहीं रहेगा जो श्ॐ नमो भगवते गजाननायश् मंत्र की एक माला रोज जपेगा, विशेषरूप से केले के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं, कभी भी नशा करें





वृश्चिक राशि के लोगों को यदि धन की इच्छा है तो वे अपने घर के बगीचे या बरामदे में केले के दो पेड़ लगाएं तथा इनकी देखभाल करें। परंतु इनके फल का सेवन करें। यदि परिवार में अशांति है तो नागकेसर का फूल लाकर घर में कहीं छिपा दें। जहां उसे कोई देख सके। स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जप करें- ऐं क्लीं सौरू।



Comments

Popular posts from this blog

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ योग अनुसार आसन और प्राणायाम की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। बंध , क्रिया और मुद्रा में आसन और प्राणायाम दोनों का ही कार्य होता है। योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है। आसन से शरीर की हड्डियाँ लचीली और मजबूत होती है जबकि मुद्राओं से शारीरिक और मानसिक शक्तियों का विकास होता है। मुद्राओं का संबंध शरीर के खुद काम करने वाले अंगों और स्नायुओं से है। मुद्राओं की संख्या को लेकर काफी मतभेद पाए जाते हैं। मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। हठयोग पर आधारित इस ग्रंथ को महर्षि घेरण्ड ने लिखा था। घेरंड में 25 और हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है , लेकिन सभी योग के ग्रंथों की मुद्राओं को मिलाकर कुल 50 से 60 हस्त मुद्राएँ हैं। मानव - सरीर अनन्त रहस्यों से भरा हुआ है । शरीर की अपनी एक मुद्रामयी भाषा है । जिसे करने स

Elephant Pearl ( Gaj Mani)

हाथी मोती ( गज मणि ) गज मणि हल्के हरे - भूरे रंग के , अंडाकार आकार का मोती , जिसकी जादुई और औषधीय  शक्ति    सर्वमान्य   है । यह हाथी मोती   एक लाख हाथियों में से एक में पाये जाने वाला मोती का एक रूप है। मोती अत्यंत दुर्लभ है और इसलिए महंगा भी है जिस किसी के पास यह होता है वह बहुत भाग्यषाली होता है इसे एक अनमोल खजाने की तरह माना गया है । इसके अलौकिक होने के प्रमाण हेतु अगर इसे साफ पानी में रखा जाए तो पानी दूधिया हो जाता है । इसी तरह अगर स्टेथोस्कोप से जांचने पर उसके दिन की धड़कन सुनी जा सकती है । अगर इसे हाथ में रखा जाता है तो थोड़ा कंपन महसूह किया जा सकता है ।   अगर गज मणि को आप नारयिल पानी में रखत हैं तो बुलबुले पैदा होने लगते हैं और पानी की मात्रा भी कम हो जाती है । चिकित्सकीय लाभ में जोड़ों के दर्द , बच्चे न पैदा होने की असमर्थता के इलाज और तनाव से राहत के

Shri Sithirman Ganesh - Ujjain

श्री स्थिरमन गणेश - उज्जैन श्री स्थिरमन गणेश   एक अति प्राचीन गणपति मंदिर जो कि उज्जैन में स्थित है । इस मंदिर एवं गणपति की विशेषता यह है कि   वे न तो दूर्वा और न ही मोदक और लडडू से प्रसन्न होते हैं उनको गुड़   की एक डली से प्रसन्न किया जाता है । गुड़ के साथ नारियल अर्पित करने से गणपति प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की झोली भर   देते हैं , हर लेते हैं भक्तों का हर दुःख और साथ ही मिलती है मन को बहुत शान्ति । इस मंदिर में सुबह गणेश जी का सिंदूरी श्रंृगार कर चांदी के वक्र से सजाया जाता है ।   यहां सुबह - शाम आरती होती है जिसमें शंखों एवं घंटों की ध्वनि मन को शांत कर   देती है । इतिहास में वर्णन मिलता है कि श्री राम जब सीता और लक्ष्मण के साथ तरपन के लिए उज्जैन आये थे तो उनका मन बहुत अस्थिर हो गया तथा माता सीता ने श्रीस्थिर गणेश की स्थापन कर पूजा की तब श्री राम का मन स्थिर हुआ । कहा जाता है कि राजा व