सावन का दूसरा सोमवार (17 जुलाई -2017) - महत्व व पूजा विधि
भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना 10 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस बार के सावन की खास बात यह है कि सावन में इस बार पांच सोमवार पड़ रहे है साथ ही सावन का महीना सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही समाप्त हो रहा है। इस बार सावन के हर सोमवार को विशेष योग बन रहे है। ऐसे में भगवान शिव की पूजा का विशेष लाभ मिलेगा।
17 एवं 31 जुलाई को श्रावण माह का अष्टमी तिथि को पड़ने वाला दूसरा एवं चतुर्थ सोमवार अति विशेष है। क्योंकि अष्टमी जया तिथि के व्रत के देवता शिव हैं। इस कारण शिव जी की भक्तों पर विशेष कृपा रहेगी। इन सोमवारों को प्रथम अशिवनी नक्षत्र एवं स्वाति नक्षत्र रहने के कारण विशेष फल की प्राप्ति होगी। इस दिन शुभ योग का बनना भी अति विशेष है।
सावन का दूसरा सोमवारः शिव से पाएं स्वास्थ्य और बल । सावन का दूसरा सोमवार भी सर्वार्थ सिद्घ योग लेकर आ रहा है। इसके साथ ही इस दिन व्रज नामक योग भी बन रहा है। इस दोनों योगों के कारण सावन का दूसरा सोमवार विशेष फलदायक बन गया है। इस दिन भगवान शिव की पूजा से बल एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें। इस सोमवार के दिन भगवान शिव को भांग, धतूरा एवं शहद अर्पित करना उत्तम फलदायी रहेगा।
पूजा विधि - सुबह सवेरे उठ कर नहा धोकर साफ वस्त्र धारण करें. और दिन में सिर्फ एक बार भोजन ग्रहण करने का संकल्प लें. इस व्रत में अन्न केवल एक समय ही खाया जाता है. आप पूरे दिन व्रत रखकर तीसरे पहर शाम को व्रत खोल सकते हैं. इस व्रत में नमक खाना या ना खाना श्रद्धालु की इच्छा पर निर्भर करता है. यदि कोई मनुष्य रख सके तो सावन के सोमवार के व्रत मीठे भी किए जा सकते हैं मतलब आप दिन में नमक का सेवन ना करें सिर्फ फलाहार या कोई मीठा प्रसाद खाएं. सुबह शाम दोनों समय भगवान शिव की पूजा करें ।
इसके लिए आप भगवान शिव के साथ माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय की तस्वीर पूजा के स्थान पर रखें. और गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद भगवान के सामने धूप, दीप, फूल, अक्षत, जल, प्रसाद आदि चढ़ाएं. “ओम नमः शिवाय” मंत्र से जाप करें. फिर प्रसाद से भगवान शिव और माता पार्वती को भोग लगाएं. प्रसाद अपने आसपास के लोगों में बांट दें. और जल को पौधे में समर्पित करें. भगवान शिव के व्रत रखना बहुत आसान है. और साथ ही इन का फल भी अच्छा मिलता है. मंदिर में जा कर विधि विधान से शिवलिंग पर जलाभिषेक करें साथ ही बेल पत्थर, फूल, दीप, धूप, बताशे, चावल, सिंदूर आदि अर्पण करें ।
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