मोर
- भगवान
कार्तिकेय का वाहन
.कार्तिकेय,
भगवान शिव और
देवी पार्वती के
दूसरे बेटे हैं
। कार्तिकेय को
सुब्रमण्यम, सन्मुख्य, साधना, स्कंद
और गुहा नाम
से भी जाने
जाते हैं ।
भारत के दक्षिणी
राज्यों में कार्तिकेय
एक लोकप्रिय देवता
हैं । कार्तिकेय
के छः सिर
मनुष्य के छः
दोष काम, गुस्सा,
लोभ, मोह, अंहकार,
ईष्र्या को दूर
करने के लिए
हैं ।
भगवान
कार्तिकेय के एक
हाथ में भाला
तथा दूसरे हाथ
में भक्तों को आर्शिवाद
देते हैं ।
कार्तिकेय का वाहन
मोर अहंकार और
लोगों की इच्छाओं
का प्रतीक है,
जो एक
नागिन अपने पैर
के साथ पकड़ती
है । मोर
एक पवित्र पक्षी
जो कि हानिकारक
आदतों का नाश
और कामुक इच्छाओं
के विजेता का
प्रतिनिधित्व करता है
।
मोर के
नीले रंग अनंत
का प्रतिनिधित्व करता
है । देश
के उत्तरी भाग
में दक्षिण भारत
और कार्तिकेय में
भगवान मुरूगन के
रूप में जाना
जाता है ।
भगवान मुरूगन की
पूजा सिर्फ भारत
तक ही सीमित
नहीं है वह
श्रीलंका में भी
पूजे जाते हैं
। पश्चिम बंगाल
के दौरान, दुर्गा
पूजा , कार्तिकेय अपनी बहनों
लक्ष्मी और सरस्वती
और उनके भाई
भगवान गणेश के
साथ पूजा की
जाती है।
प्रभु
मुरुगा भगवान युद्ध के
और तमिल भूमि
के संरक्षक देवता
है। भारत में
भगवान मुरुगन, श्रीलंका,
मलेशिया, सिंगापुर, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड
और कनाडा के
लिए समर्पित कई
मंदिर हैं।
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