Skip to main content

राशि अनुसार करें भगवान गणेश का पूजन 7 तुला राशि - शक्ति विनायक गणेश ( सफेद मिश्रित रंग के गणेश )


राशि अनुसार करें भगवान गणेश का पूजन 

7 तुला राशि - शक्ति विनायक गणेश ( सफेद मिश्रित रंग के गणेश )




भगवान गणेश आदिदेव माने गए हैं. उनका पूजन करने से धन-धान्य बढ़ता है. ज्योतिषीय राशिनुसार भगवान गणेश का पूजन और आराधना करने से सभी प्रकार की समस्याएं जैसे रोग, आर्थिक समस्या, भय, नौकरी, व्यवसाय, मकान, वाहन, विवाह, संतान, प्रमोशन आदि संबंधित सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है. राशि अनुसार भगवान गणेश का पूजन 


तुला राशि- अब तक इस राशि के कुछ लोग बुरे दौर से गुजर रहे थे, लेकिन अब इन लोगों के लिए भी अच्छा समय रहा है। निकट भविष्य में प्रसन्नतादायक समाचार प्राप्त होंगे। संतान सुख मिलेगा।  तुला राशि वाले लोगों को सफेद मिश्रित रंग के गणेशजी की प्रतिमा का पूजन करना सर्वोत्तम होता है। 




तुला राशि के लोगों को तराजू में तौलकर सवाया लड्डू का भोग श्रीगणेश को लगाना चाहिए।  दूर्वा पुष्प भी सवा सौ ग्राम या सवा किलो चढाएं, जिससे समस्त संकट का निवारण होकर इच्छित मनोकामना परिपूर्ण होती है।  श्रीगणेश स्त्रोत का पाठ करना भी श्रेष्ठ होता है।  तुला- गणेश- शक्तिविनायक , मंत्र- ह्रीं, ग्रीं, ह्रीं॥ , भोग- मिश्री, लड्डू और केला।


तुला राशि  - तुला राशि वाले लोगों को वक्रतुण्ड रूप में गणेशजी की पूजा करना चाहिए और पूजा के दौरान गणेशजी को 5 नारियल का भोग लगाएं. तत्पश्चात्य एक माला श्ॐ वक्रतुण्डाय नमरूश् मंत्र का जप करें. इससे उनकी जो भी समस्याएं होंगी वह भगवान गणेश जल्द ही दूर करेंगे विशेष रू छोटे भाई-बहनों की मदद करें और गणेशजी के मंदिर में शुद्ध घी का दीया दिन में 11 बजे के पूर्व जिस किसी दिन मन करें लगाकर आएं



तुला राशि - यदि आपको व्यवसाय में घाटा हो रहा है तो आप बड़ के पेड़ के पत्ते पर सिंदूर घी से श्रीं श्रियै नमरू मंत्र लिखें और इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के लिए तुला राशि के लोग सुबह स्नान आदि नियमित कर्म करने के बाद किसी लक्ष्मी मंदिर में जाकर 11 नारियल अर्पित करें। स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जप करें- ह्रीं क्लीं श्रीं।



तुला राशि वाले लोगों को सफेद मिश्रित रंग के गणेशजी की प्रतिमा का पूजन करना सर्वोत्तम होता है।  तुला राशि के लोगों को तराजू में तौलकर सवाया लड्डू का भोग श्रीगणेश को लगाना चाहिए।  दूर्वा पुष्प भी सवा सौ ग्राम या सवा किलो चढाएं, जिससे समस्त संकट का निवारण होकर इच्छित मनोकामना परिपूर्ण होती है।  श्रीगणेश स्त्रोत का पाठ करना भी श्रेष्ठ होता है।



Comments

Popular posts from this blog

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ योग अनुसार आसन और प्राणायाम की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। बंध , क्रिया और मुद्रा में आसन और प्राणायाम दोनों का ही कार्य होता है। योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है। आसन से शरीर की हड्डियाँ लचीली और मजबूत होती है जबकि मुद्राओं से शारीरिक और मानसिक शक्तियों का विकास होता है। मुद्राओं का संबंध शरीर के खुद काम करने वाले अंगों और स्नायुओं से है। मुद्राओं की संख्या को लेकर काफी मतभेद पाए जाते हैं। मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। हठयोग पर आधारित इस ग्रंथ को महर्षि घेरण्ड ने लिखा था। घेरंड में 25 और हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है , लेकिन सभी योग के ग्रंथों की मुद्राओं को मिलाकर कुल 50 से 60 हस्त मुद्राएँ हैं। मानव - सरीर अनन्त रहस्यों से भरा हुआ है । शरीर की अपनी एक मुद्रामयी भाषा है । जिसे करने स

Elephant Pearl ( Gaj Mani)

हाथी मोती ( गज मणि ) गज मणि हल्के हरे - भूरे रंग के , अंडाकार आकार का मोती , जिसकी जादुई और औषधीय  शक्ति    सर्वमान्य   है । यह हाथी मोती   एक लाख हाथियों में से एक में पाये जाने वाला मोती का एक रूप है। मोती अत्यंत दुर्लभ है और इसलिए महंगा भी है जिस किसी के पास यह होता है वह बहुत भाग्यषाली होता है इसे एक अनमोल खजाने की तरह माना गया है । इसके अलौकिक होने के प्रमाण हेतु अगर इसे साफ पानी में रखा जाए तो पानी दूधिया हो जाता है । इसी तरह अगर स्टेथोस्कोप से जांचने पर उसके दिन की धड़कन सुनी जा सकती है । अगर इसे हाथ में रखा जाता है तो थोड़ा कंपन महसूह किया जा सकता है ।   अगर गज मणि को आप नारयिल पानी में रखत हैं तो बुलबुले पैदा होने लगते हैं और पानी की मात्रा भी कम हो जाती है । चिकित्सकीय लाभ में जोड़ों के दर्द , बच्चे न पैदा होने की असमर्थता के इलाज और तनाव से राहत के

पुष्कर - पौराणिक एवं धार्मिक महत्व

पुष्कर - पौराणिक एवं धार्मिक महत्व पुष्कर ब्रह्मा के मंदिर और ऊँटों के व्यापार मेले के लिए प्रसिद्ध है। पुष्कर का शाब्दिक अर्थ है तालाब और पुराणों में वर्णित तीर्थों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। राजस्थान के शहर अजमेर में कई पर्यटन स्थल है जिनमें से ये एक है। अनेक पौराणिक कथाएं इसका प्रमाण हैं। यहाँ से प्रागैतिहासिक कालीन पाषाण निर्मित अस्त्र - शस्त्र मिले हैं , जो उस युग में यहाँ पर मानव के क्रिया - कलापों की ओर संकेत करते हैं। हिंदुओं के समान ही बौद्धों के लिए भी पुष्कर पवित्र स्थान रहा है। भगवान बुद्ध ने यहां ब्राह्मणों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी। फलस्वरूप बौद्धों की एक नई शाखा पौष्करायिणी स्थापित हुई। शंकराचार्य , जिन सूरी और जिन वल्लभ सूरी , हिमगिरि , पुष्पक , ईशिदत्त आदि विद्वानों के नाम पुष्कर से जुड़े हुए हैं।   चैहान राजा अरणोराज के काल में विशाल शास्त्रार्थ हुआ था। इसमें अजमेर के जैन विद्वान जिन सूरी और ज