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Showing posts from June, 2015

ब्रह्म कमल (ससोरिया ओबोलेटा) - उत्तरांचल का राज्य पुष्प

ब्रह्म कमल (ससोरिया ओबोलेटा) - उत्तरांचल का राज्य पुष्प ब्रह्म कमल ऊँचाई वाले क्षेत्रों का एक दुर्लभ पुष्प है जो कि सिर्फ हिमालय, उत्तरी बर्मा और दक्षिण-पश्चिम चीन में पाया जाता है। धार्मिक और प्राचीन मान्यता के अनुसार ब्रह्म कमल को इसका नाम उत्पत्ति के देवता ब्रह्मा के नाम पर मिला है। ब्रह्म कमल एक रहस्यपूर्ण सफेद कमल है ,जो हिमालय में 11 हजार से 17 हजार फुट की ऊंचाइयों पर पाया जाता है।  उत्तराखंड में यह विशेषतौर पर पिण्डारी से लेकर चिफला, सप्तशृंग , रूपकुंड, हेमकुण्ड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी, केदारनाथ तक के आसपास के क्षेत्र में यह स्वाभाविक रूप से पाया जाता है।  केदारनाथ और बद्रीनाथ के मंदिरों में  ब्रह्म कमल चढ़ाने की परंपरा है।   यह अत्यंत सुंदर  चमकते सितारे जैसा आकार लिए मादक सुगंध वाला पुष्प है। ब्रह्म कमल को हिमालयी फूलों का सम्राट भी कहा गया है। यह कमल आधी रात के बाद खिलता है इसलिए इसे खिलते देखना स्वप्न समान ही है।  एक विश्वास है कि अगर इसे खिलते समय देख कर कोई कामना की जाए तो अतिशीघ्र पूरी हो जाती है। ब्रह्मकमल के पौधे में एक साल में केवल एक बार ही फूल

माँ शुलिनी देवी - सोलन (हिमाचल प्रदेश)

माँ शुलिनी देवी - सोलन ( हिमाचल प्रदेश ) आज का दिन सोलनवासियो के लिये बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। वैसे तो भक्त माता के दरबार में जाते है लेकिन आज माँ शुलिनी अपने भक्तो की खबर लेने स्वंयम सोलन आयेगी। माँ शुलिनी सोलन बाजार से होते हुये वापस गंज बाजार स्थित अपनी बहन माँ दुर्गा से मिलने जायेगी। माँ शुलिनी के सोलन आगमन की खुशी मे भक्तजन जगह जगह प्रसाद बांटते है ! माँ शुलिनी की अपार कृपा हम सब पर बनी रहे। सभी भक्तजनो का माँ शुलिनी के मेले मे हार्दिक अभिनंदन है। . शक्तिस्वरूपा करुणामयी   माँ ,  हे जगतधारिणी हमें प्यार दे , हम दीन दुखी हम अन्जाने हे कल्याणमयी माँ   हमें तार दे । रूठ न जाना तुम हमसे , नित स्तुति तुम्हारी करता हूँ ,  सेवक जान के रख लेना , ये विनय   माँ   आपसे करता हूँ । कुटुम्ब प्रेम तो दिया ही दिया ,   माँ   और तुमसे क्या मांगू , विश्वास की ज्योति जलाए रखना , नित मांग सकूं तो ये मांगू । निर्बल को ब

Padmalaya Ganpati temple-Jalgaon

. पद्मालय गणपति मंदिर - जलगांव     . पदमालय भगवान श्रीगणेश का एक पवित्र मंदिर है जो कि उत्तरी महाराष्ट के जलगावं जिले में इरेन्डोल स्थान पर   एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है । भगवान गजानन की प्रतिमाएं स्वयंभू हैं । इस मंदिर में चांदी के सिंहासन पर दो गणेशजी की मूर्तियां स्थापित हैं । जो अपने आप में अनोखी हैं ।   पहली गजानन   मूर्ति की दायीं तरफ संूड़ और जिन्हें सिद्धविनायक तथा दूसरे गजानन मूर्ति के बाये ओर सूंड है जिसे विघ्नविनाशक माने गये हैं ।   . पदमालय मंदिर का पुनःनिर्माण सन् 1912 में सदगुरू गोविंद महाराज ने करवाया था । मंदिर में एक विशाल घंटी है तथा एक बड़े हाॅल में पत्थर पर खुदी 5 फुट लंबा मूषक है ।   दोनों मूर्तियों पर चांदी का मुकुट शोभायमान है । मंदिर के चारों ओर मंदिर के बगल में कई कमल के साथ एक बहुत ही सुंदर झील है।

Adhik Maas -2015

अधिमास - 2015 हिंदू पंचांग के अनुसार   विक्रम संवत् 2072 ( सन् 2015) में अधिक मास आषाढ़ महीने का होगा जो 17 जून 2015 से 16 जुलाई 2015 तक रहेगा। अधिक मास को मलमास या   उतम मास   या खर मास भी कहते हैं । सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को संक्रांति होना कहते हैं . सौर मास और राशियों दोनों की संख्या 12 होती है . जब दो पक्षों में संक्रांति नहीं होती , तब अधिकमास होता है . आमतौर पर यह स्थिति 32 माह और 16 दिन में एक बार यानी हर तीसरे वर्ष में बनती है . ऐसा सूर्य और पृथ्वी की गति में होने वाले परिवर्तन से तिथियों का समय घटने - बढने के कारण होता है ।   अधिकमास में व्रत त्यौहारों की तिथियों में होगा परिवर्तन हो जाता है । अधिकमास ( मलमास ) पड़ने के कारण लगभग सभी व्रत और त्योहार आम सालों की अपेक्षा कुछ जल्दी पड़ेंगे . 2015 में अधिकमास के कारण दो आषाढ़ होंगे . नए वर्ष के शुरू के छह माह में त्योहार गत वर्ष की अपेक्षा दस दिन