Skip to main content

राशि अनुसार करें भगवान गणेश का पूजन - 12 मीन राशि - सिद्धि विनायक गणेश ( हल्दी रंग के गणेश )


राशि अनुसार करें भगवान गणेश का पूजन 

12 मीन राशि - सिद्धि विनायक गणेशहल्दी रंग के गणेश )




भगवान गणेश आदिदेव माने गए हैं. उनका पूजन करने से धन-धान्य बढ़ता है. ज्योतिषीय राशिनुसार भगवान गणेश का पूजन और आराधना करने से सभी प्रकार की समस्याएं जैसे रोग, आर्थिक समस्या, भय, नौकरी, व्यवसाय, मकान, वाहन, विवाह, संतान, प्रमोशन आदि संबंधित सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है. राशि अनुसार भगवान गणेश का पूजन 




मीन राशिय गणेशजी एवं लक्ष्मीजी की विशेष कृपा से प्रसन्नता प्राप्त हो सकती है। किसी बड़े सौदे को हल्के से लें, सावधानी पूर्वक काम करें, लाभ मिलने की संभावनाएं हैं।  मीन राशि वाले लोगों को हल्दी रंग के श्री गणेशजी की आराधना करनी चाहिए। 




हल्दी की जड़ पर आठ बार ऊं गं गं गं गं गं श्री गजाय नमरू लिखकर भगवान श्री गणेशजी को अर्पण करें।  पीले रंग के धागे में पीले पुष्प दूर्वा की माला बनाकर श्री गणेशजी को अर्पण करें। चने की दाल और गुड़ भगवान श्रीगणेश के मंदिर में दान करें।




मीन गणेश- सिद्धि विनायक, मंत्र- सिद्धि विनायकाय नमः। , भोग- बेसन के लड्डू, केला, बादाम।
मीन राशि वाले जातक सिद्धि विनायक गणेश की पूजा करना चाहिए. श्ॐ गं गणपतये नमः  अंतरिक्षाय स्वाहा मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपना चाहिए. पूजा के दौरान शहद और केसर का भोग लगाएं.... विशेष रू गणेश मंदिर में प्याऊ के लिए पैसा दान करें. पीपल के पेड़ की जड़ में पानी डालें और कभी भी झूठ बोलें




मीन राशि - यदि आपको शत्रु पक्ष से परेशानी हैं तो कर्पूर के काजल से शत्रु का नाम लिखकर अपने पैर से मिटा दें। धन लाभ के लिए किसी लक्ष्मी मंदिर में जाकर कमल के फूल, नारियल अर्पित करें तथा सफेद मिठाई का भोग लगाएं। कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जप करें- ह्रीं क्लीं सौ।





Comments

Popular posts from this blog

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ योग अनुसार आसन और प्राणायाम की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। बंध , क्रिया और मुद्रा में आसन और प्राणायाम दोनों का ही कार्य होता है। योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है। आसन से शरीर की हड्डियाँ लचीली और मजबूत होती है जबकि मुद्राओं से शारीरिक और मानसिक शक्तियों का विकास होता है। मुद्राओं का संबंध शरीर के खुद काम करने वाले अंगों और स्नायुओं से है। मुद्राओं की संख्या को लेकर काफी मतभेद पाए जाते हैं। मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। हठयोग पर आधारित इस ग्रंथ को महर्षि घेरण्ड ने लिखा था। घेरंड में 25 और हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है , लेकिन सभी योग के ग्रंथों की मुद्राओं को मिलाकर कुल 50 से 60 हस्त मुद्राएँ हैं। मानव - सरीर अनन्त रहस्यों से भरा हुआ है । शरीर की अपनी एक मुद्रामयी भाषा है । जिसे करने स

Elephant Pearl ( Gaj Mani)

हाथी मोती ( गज मणि ) गज मणि हल्के हरे - भूरे रंग के , अंडाकार आकार का मोती , जिसकी जादुई और औषधीय  शक्ति    सर्वमान्य   है । यह हाथी मोती   एक लाख हाथियों में से एक में पाये जाने वाला मोती का एक रूप है। मोती अत्यंत दुर्लभ है और इसलिए महंगा भी है जिस किसी के पास यह होता है वह बहुत भाग्यषाली होता है इसे एक अनमोल खजाने की तरह माना गया है । इसके अलौकिक होने के प्रमाण हेतु अगर इसे साफ पानी में रखा जाए तो पानी दूधिया हो जाता है । इसी तरह अगर स्टेथोस्कोप से जांचने पर उसके दिन की धड़कन सुनी जा सकती है । अगर इसे हाथ में रखा जाता है तो थोड़ा कंपन महसूह किया जा सकता है ।   अगर गज मणि को आप नारयिल पानी में रखत हैं तो बुलबुले पैदा होने लगते हैं और पानी की मात्रा भी कम हो जाती है । चिकित्सकीय लाभ में जोड़ों के दर्द , बच्चे न पैदा होने की असमर्थता के इलाज और तनाव से राहत के

पुष्कर - पौराणिक एवं धार्मिक महत्व

पुष्कर - पौराणिक एवं धार्मिक महत्व पुष्कर ब्रह्मा के मंदिर और ऊँटों के व्यापार मेले के लिए प्रसिद्ध है। पुष्कर का शाब्दिक अर्थ है तालाब और पुराणों में वर्णित तीर्थों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। राजस्थान के शहर अजमेर में कई पर्यटन स्थल है जिनमें से ये एक है। अनेक पौराणिक कथाएं इसका प्रमाण हैं। यहाँ से प्रागैतिहासिक कालीन पाषाण निर्मित अस्त्र - शस्त्र मिले हैं , जो उस युग में यहाँ पर मानव के क्रिया - कलापों की ओर संकेत करते हैं। हिंदुओं के समान ही बौद्धों के लिए भी पुष्कर पवित्र स्थान रहा है। भगवान बुद्ध ने यहां ब्राह्मणों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी। फलस्वरूप बौद्धों की एक नई शाखा पौष्करायिणी स्थापित हुई। शंकराचार्य , जिन सूरी और जिन वल्लभ सूरी , हिमगिरि , पुष्पक , ईशिदत्त आदि विद्वानों के नाम पुष्कर से जुड़े हुए हैं।   चैहान राजा अरणोराज के काल में विशाल शास्त्रार्थ हुआ था। इसमें अजमेर के जैन विद्वान जिन सूरी और ज