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Chandra Mani / Moti ( Pearl)

चंद्र मणि / मोती ( पर्ल )



मोती जिसका लैटिन नाम परणा है से अस्तित्व में आया जो कि कोड़ी की एक किस्म है गोल एवं कोमलता वाले मोती को आदर्ष मोती रत्न माना गया हैं  मोती चन्द्रमा का रत्न है। अच्छी गुणवत्ता वाले प्राकृतिक मोती प्राचीन काल से ही बहुत मूल्यवान रहे हैं। इनका रत्न के रूप में या सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में इस्तेमाल होता रहा है। मोती रत्न दूसरे रत्नों के मुकाबले कम समय तक चलता है, क्योंकि मोती एसिड, सूखेपन और नमी से बहुत जल्द प्रभावित होता है। अति प्राचीन काल के बाद से मोती रत्न को सुंदरता एवं शुद्धता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। शुद्घ मोदी कोमल एवं चमकदार गोल रत्न है, जो सीप के खोल के अंदर पाया जाता है एवं बिवालवे मोलस्क की प्रजाति है। 


दुर्लभ मोती बहुत कीमती रत्नों के रूप में मूल्यवान है। मोती सफेद, काला, लाल, नीला, भूरा, हलका पीला या गुलाबी रंग का होता है। प्राकृतिक मोती लगभग शत प्रतिशत कैल्शियम कार्बोनेट और कन्चिओलिन है। प्राकृतिक मोती अलग अलग आकार में मिलता है एवं गोल आकार वाले मोती का मिलन दुर्लभ है। मोती का मुख्य एवं विशाल स्रोत फारस की खाड़ी है। प्राकृतिक मोती का भाव खेती कर तैयार किए मोती रत्नों से दस गुणा अधिक होता है, क्योंकि दुर्लभता से मिलने वाले प्राकृतिक मोती की चमक बहुत दिलकश होती है। मोती से स्वास्थ्य लाभ - मोती मस्तिष्क को सशक्त बनाता है। स्मरणशक्ति बढ़ती है। गुस्से पर काबू रखने में मदद करता है। आत्मविश्वास में वृद्घि होती है। धन संपदा में वृद्घि होती है। तपेदिक, बुखार, मिर्गी, मधुमेह, अनिद्रा, आंख और गर्भाशय की समस्याओं से बचाने में मदद करता है। 












चंद्रमा मोती का स्वामी है। वैदिक ज्योतिषी के अनुसार उनको मोती रत्न धारण करना चाहिए, जिनकी कुंडली में चंद्रमा शुभ घर का स्वामी है। सीप मोती पर विभिन्न देवी-देवताओं की अध्यक्षता है, जैसे कि गहरे मोती पर विष्णु, चंद्रमा पर इंद्र, काले पर यमराज, लाल पर वायुदेव, पीले पर वरुण एवं अधिक प्रतिभाशाली रत्नों पर अग्निदेव की अध्यक्षता है। अगर मनुष्य में बैचेनी, दिमागी अस्थिरता, आत्मविश्वास की कमी आने लगती है. तो मोती धारण करें असली मोती की पहचान - मोती की पहचान का सबसे आसान तरीका है कि मोती को चावल के दानों पर रगड़ें। मोती को चावल के दानों पर रगड़ने से सच्चे मोती की चमक बढ़ जाती है जबकि कृत्रिम तरीके से तैयार मोती की चमक कम हो जाती है। 


मोती को शुक्ल पक्ष में रोहिणी, हस्त अथवा श्रवण नक्षत्र में सोमवार प्रातः अथवा संध्या के समय कनिष्ठा में मोती धारण करना शुभ रहता है। पुरूषों को 7.25 रत्ती एवं महिलाओं को 4.25 रत्ती का मोती धारण करना चाहिए।  मोती की प्रमुख विशेषता है कि, यह चित्त क्लेश को शांत कर मन स्थिर करता है,


  मानसिक उद्वेग के व्यक्तियों को इसे अवश्य धारण करना चाहिये। शिक्षा या अध्ययन में अरुचि रखने वाले या तनाव ग्रस्त लोगों को मोती तर्जनी ऊंगली में धारण करना, वकील, अध्यापक और पत्रकार जैसे मानसिक प्रधान पेशे के व्यक्तियों के लिए यह अतिलाभकारी सिद्ध होता है परंतु तर्जनी में मोती धारण करने पर हीरे को कभी भी नहीं धारण करना चाहिये। एक बार मोती धारण करने पर कम से कम दो सप्ताह तक नहीं उतारना चाहिये।



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