श्वेतार्क गणेश
सामान्य तौर पर नीले और बैंगनी रंग के फूल बहुतायत में पाये जाते हैं लेकिन सफेद रंग के फूल वाले अद्वितीय होते है । आक की जड़े कभी कभी यह गणपति के आकार ले लेती हैं । इस पौधे की जड़ों को शुद्ध और पवि़त्र माना जाता है । जड़ों से बने गणपति अपार धन और समृद्धि जाता है और यह घर से बुराई को दूर करता है । घर में श्वेतार्क गणपति रखना बहुत शुभ माना जाता है ।
मदार एक औषधीय पादप है. इसको मंदार, आक, अर्क और अकौआ भी कहते हैं. इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है. पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं. हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं. इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है. फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं. फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है. आक की शाखाओं में दूध निकलता है. वह दूध विष का काम देता है. आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है. चैमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है । शास्त्रों अनुसार आंकड़े के फूल शिवलिंग पर चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. आंकड़े पौधा मुख्यद्वार पर या घर के सामने हो तो बहुत शुभ माना जाता है. इसके फूल सामान्यतरू सफेद रंग के होते हैं. विद्वानों के अनुसार कुछ पुराने आंकड़ों की जड़ में श्रीगणेश की प्रतिकृति निर्मित हो जाती है जो कि साधक को चमत्कारी लाभ प्रदान करती है । ज्योतिष के अनुसार जिस घर के सामने या मुख्यद्वार के समीप आंकड़े का पौधा होता है उस घर पर कभी भी किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव नहीं पड़ता है. इसके अलावा वहां रहने वाले लोगों को तांत्रिक बाधाएं कभी नहीं सताती. घर के आसपास सकारात्मक और पवित्र वातावरण बना रहता है जो कि हमें सुख-समृद्धि और धन प्रदान करता है. ऐसे लोगों पर महालक्ष्मी की विशेष कृपा रहती है और जहां-जहां से लोग कार्य करते हैं वहीं से इन्हें धन लाभ प्राप्त होता है ।
चिकित्सा में उपयोग - आक का हर अंग दवा है, हर भाग उपयोगी है. यह सूर्य के समान तीक्ष्ण तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायनधर्मा हैं. कहीं-कहीं इसे वानस्पतिक पारद भी कहा गया है । आक के पीले पत्ते पर घी चुपड कर सेंक कर अर्क निचोड कर कान में डालने से आधा शिर दर्द जाता रहता है. बहरापन दूर होता है. दाँतों और कान की पीडा शाँत हो जाती है । आक के कोमल पत्ते मीठे तेल में जला कर अण्डकोश की सूजन पर बाँधने से सूजन दूर हो जाती है. तथा कडुवे तेल में पत्तों को जला कर गरमी के घाव पर लगाने से घाव अच्छा हो जाता है. एवं पत्तों पर कत्था चूना लगा कर पान समान खाने से दमा रोग दूर हो जाता है. तथा हरा पत्ता पीस कर लेप करने से सूजन पचक जाती है । कोमल पत्तों के धूँआ से बवासीर शाँत होती है. कोमल पत्ते खाय तो ताप तिजारी रोग दूर हो जाता है । आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है. सूजन दूर हो जाती है. आक के फूल को जीरा, काली मिर्च के साथ बालक को देने से बालक की खाँसी दूर हो जाती है । दूध पीते बालक को माता अपनी दूध में देवे तथा मदार के फल की रूई रूधिर बहने के स्थान पर रखने से रूधिर बहना बन्द हो जाता है. आक का दूध लेकर उसमें काली मिर्च पीस कर भिगोवे फिर उसको प्रतिदिन प्रातः समय मासे भर खाय 9 दिन में कुत्ते का विष शाँत हो जाता है. परंतु कुत्ता काटने के दिन से ही खावे. आक का दूध पाँव के अँगूठे पर लगाने से दुखती हुई आँख अच्छी हो जाती है.
बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जाते रहते हैं. बर्रे काटे में लगाने से दर्द नहीं होता. चोट पर लगाने से चोट शाँत हो जाती है. जहाँ के बाल उड गये हों वहाँ पर आक का दूध लगाने से बाल उग आते हैं. तलुओं पर लगाने से महिने भर में मृगी रोग दूर हो जाता है. आक के दूध का फाहा लगाने से मुँह का लक्वा सीधा हो जाता है. आक की छाल को पीस कर घी में भूने फिर चोट पर बाँधे तो चोट की सूजन दूर हो जाती है. तथा आक की जड को दूध में औटा कर घी निकाले वह घी खाने से नहरूआँ रोग जाता रहता है । कुछ पेड़-पौधे ऐसे हैं जिनसे हम कई चमत्कारिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. हमारे घर या घर के आसपास होने पर ही इनके फायदे प्राप्त होते हैं. इन पेड़ों-पौधों में आंकड़े का पौधा भी शामिल है, यदि यह घर के सामने हो तो बहुत लाभ पहुंचाता है । ‘‘ चित्र में दिखाये गये गणपति पशु चिकित्सा महाविद्यालय महू-इंदौर , म.प्र. 13 जनवरी 2014 को स्थापित किए गये थे ,,
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