मूषक - श्री गणेश
जी का वाहन
भगवान गणेश जी
अपनी बुद्धि और
ज्ञान के लिए
जाने जाते हैं
। गणेश जी
ब्रहमा का एक
रूप हैं ।
ओमकार का प्रतीक
हैं । हमारे
धर्म में भगवान
व उनके वाहन
दोनों की पूजा
की जाती है
। मूषक भगवान
गणेश का वाहन
है इसके पीछे
कुछ कथाएं प्रचलित
हैं ।
पहली - गजमुखासुर नामक एक
असुर से गजानन
का युद्ध हुआ
। गजमुखासुर को
यह वरदान प्राप्त
था कि वह
किसी अस्त्र से
नहीं मर सकता
। गणेश जी
ने इसे मारने
के लिए अपने
एक दांत को
तोड़ा और गजमुखासुर
पर वार किया
तब गजमुखासुर इससे
घबरा गया और मूषक
बनकर भागने लगा
। गणेश जी
ने मूषक बने
गजमुखासुर को अपने
पाश में बांध
लिया । गजमुखासुर
गणेश जी से
क्षमा मांगने लगा
। गणेश जी
ने गजमुखासुर को
अपना वाहन बनाकर
जीवनदान दे दिया
।
दूसरी - गणेश पुराण
के अनुसार द्वापर
युग में एक
बहुत ही मूषक
महर्षि पराशर के आश्रम
में आकर महर्षि
को परेशान करने
लगा । उत्पादी
मूषक ने महर्षि
के आश्रम के
मिट्टी के बर्तन
तोड़ दिये तथा
आश्रम में रखे
अनाज को नष्ट
कर दिया ।
.ऋषियों के वस्त्र
और ग्रंथों को
कुतर डाला ।
महर्षि पराशर मूषक की
इस करतूत से
दुःखी होकर गणेश
जी की शरण
में गये ।
गणेश जी महर्षि
की भक्ति से
प्रसन्न हुए और
उत्पाती मूषक को
पकड़ने के लिए
अपना पाश फेंका
।
पाश मूषक
का पीछा करता
हुआ पाताल लोक
पहुंच गया और उसे
बांधकर गणेश जी
के सामन ले
आया । गणेश जी
को सामने देखकर
मूषक उनकी स्तुति
करने लगा ।
गणेश जी ने
कहा तुमने महर्षि
पराशर को बहुत
परेशान किया है
लेकिन अब तुम
मेरी शरण में
हो इसलिए जो
चाहो वरदान मांग
लो । गणेश जी
के ऐसे वचन
सुनते ही मूषक
का अभिमान जाग
उठा । उसने
कहा कि मुझे
आपसे कुछ नहीं
चाहिए, अगर आपको
मुझसे कुछ चाहिए
तो मांग लीजिए
।
गणेश जी
मुस्कुराए और मूषक
से कहा कि
तुम मेरा वाहन
बन जाओ ।
अपने अभिमान के
कारण मूषक गणेश
जी का वाहन
बन गया ।
लेकिन जैसे ही
गणेश जी मूषक
पर चढ़े गणेश
जी के भार
से वह दबने
लगा । मूषक ने
गणेश जी से
कहा कि प्रमु
मैं आपके वनज
से दबा जा
रहा हूं ।
अपने वाहन की
विनती सुनकर गणेश
जी ने अपना
भार कम कर
लिया । इसके
बाद से मूषक
गणेशजी का वाहन
बनकर उनकी सेवा
में लगा हुआ
है ।
गणेश मंदिर में मूषक
के कान में
अपनी इच्छा फुसफुसाते
हैं, तो वह
धीरे से प्रभु
को यह संदेश
स्थानान्तरण और इच्छाओं
को पूरा करते
हैं । मूषक
हमेशा गणेश के साथ
देखे जाते हैं
। भक्तगण लडडू
और मोदक भगवान
को चढ़ाते हैं
पर मूषक उनका
उपभोग करने के
लिए भगवान से
आदेश का इन्तजार
करता है ।
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