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वसंत पंचमी 2015

वसंत पंचमी  2015 वसंत पंचमी  विशुद्ध  रूप से प्रकृति का लोकप्रिय त्यौहार है जो ठंड / सर्दियों के बाद सुखद खिले प्रकृति का स्वागत करता है । वसंत पंचमी ज्ञान , कला और संगीत की देवी सरस्वती को समर्पित एक लोकप्रिय हिन्दू त्यौहार है । यह वसंत का पहला दिन है जो माघ के हिन्दू महीने के पांचवें दिन पर पड़ता है ।    वसंत पंचमी सरस्वती देवी जो बुद्धि , ज्ञान , संगीत और संस्कृति की देवी है की पूजा करते हैं तथा पतंग महोत्सव के रूप में जाना जाता है । वसंत पंचमी सिक्ख एवं हिन्दूओं का त्यौहार है जो कि हरियाणा , उड़ीसा , त्रिपुरा , और  पश्चिम   बंगाल में मनाया जाता है । वसंत पंचमी के साथ लोकप्रिय कालिदास का नाम जुड़ा है , कवि कालिदास को मूख समझ कर एक सुन्दर राजकुमारी से  शादी   न होने के कारण सरस्वती नदी में अपने को मारने की  कोशिश   ने उन्हें ज्ञान दिया और महान कवि कालीदास बनाया ।   ...

मौनी अमावस्या -2015

मौनी अमावस्या -2015 मौनी अमावस्या हिन्दू धर्म  में सबसे पवित्र अमावस्या मानी जाती है इस दिन पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा आदि में डूबकी लगाने शुभ माना जाता है ।  इस साल यह 19 जनवरी 2015  को 21ः57 शुरू होगी और 18ः43 पर समाप्त होगी । इस दिन पूर्ण मौन पालन करने का प्रावधान है ।  मान्यता के अनुसार इस दिन पवित्र नदी का पानी अमृत में बदल जाता है । इस दिन लोग एक दिन पूरे दिन में एक शब्द भी नहीं बोलते है एवं उपवास रख कर चुप्पी का पालन करते हैं । प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि इस दुनिया में प्रकट हुए थे यह वही दिन है जिस दिन ब्रहमांड बनाया गया था और इसी दिन सूर्य और चंद्रमा मकर राशि पर हस्ताक्षर में प्रवेश करती है ।  यह दिन व्रत कर इंद्रियों को नियंत्रित करने और भगवान नारायण की सेवा में उन्हें शामिल करने के लिए माना जाता है । इस दिन जरूरतमंद संतों को भोजन, पैसे और कपड़े दान करते हैं ।

Lohri Festival 2015

Lohri Festival –2015 Lohri is a famous Punjabi festival and is a welcoming event for the starting of spring and farewell time for winter.  A grand Bonfire encircled by the group of folks dancing and singing marry-making Lohri song.  People in huge groups gather in a large open field around the Bonfire. The newly-wed couples walk around the Bonfire and lay down Revadi, Peanuts and popcorn. To fire up the Lohri eve people dance on the tunes of Bhangra Music with all the musical instruments like Dhol, manjeera.  This fantastic Punjabi Festival Lohri indeed fills millions of energetic vibes. Every year Lohri Festival falls on 13th January. It is a day before Makar Sankranti (time of Sun entering into Northern Hemisphere), a significant Hindu Festival. In some places Lohri also referred with different names, such as Makar-Sankranti in north India, Pongal in Tamilnadu, Sankranti in Karnataka, Bihu in Assam and Bhogi in Andhra Pradesh. ...

Gurudwara Guru Gobind Singh ji - Mandi ( H.P.)

गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी, मंडी (हिमाचल प्रदेश) गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी समुद्र स्तर से 2000 फीट की ऊंचाई पर मंडी (हिमाचल प्रदेश) में है । मंडी के राजा सिद्ध सेन ने गुरू गोबिंद सिंह जी को रहने के लिए अपने महल में आमंत्रित किया था पर गुरू जी ने नदी के तट पर ही रहना पसंद किया और नदी के अंदर एक बड़ी चटटान पर गुरू जीे ने अपना दरबार सजाया । आज वहां  एक सुंदर गुरुद्वारा स्थल पर बनाया गया है।  गुरु की कुछ पवित्र अवशेष गुरुद्वारा में संरक्षित किया गया है। वे एक खाट और एक राइफल शामिल हैं। गुरुद्वारा  पाडल साहिब - एक ही नाम के एक पहाड़ी राज्य की मंडी पूर्व राजधानी, अब हिमाचल प्रदेश में एक जिला शहर है। गुरु शहर के बाहर अपने शिविर में खड़ा किया, वहीं गुरु गोबिंद सिंह एक बार अपने घर की महिलाओं के शासक के महल में ठहराया गया, अपने शासक सिध्द सेन के निमंत्रण पर मंडी का दौरा किया।  दो धार्मिक स्थलों, यहां महल और गुरु के शिविर के स्थल पर एक दूसरे के अंदर स्थापित किए गए थे। भीतरी श्राइन तत्कालीन शासक परिवार द्वारा बनाए रखा है। व्यास न...

Guru Govind Singh Ji - Tenth Sikh Guru

श्री गुरू गोबिंदसिंह जी - सिखों के दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंदसिंह जी सिखों के दसवें गुरू हैं जिनका जन्म पौष सुदी 7वीं सन् 1966 को पटना (बिहार) मैं  माता गुजरी जी तथा पिता श्री गुरू तेगबहादुर जी के घर हुआ । पहले गुरूजी का नाम गोविंद राय था और सन् 1699 को बैसाखी वाले दिन गुरूजी पंज प्यारों से अमृत छक कर गोविंद राय से गुरू गोविंद सिंह जी बन गए । उनके बचपन के पाँच साल पटना में ही गुजारे ।  धर्म एवं समाज की रक्षा हेतु ही गुरू गोबिंद सिंह जी ने 1699 ई. में खालसा पंथ की स्ािापना की । पाँच प्यारे बनाकर उन्हें गुरू का दर्जा देकर स्वयं उनके शिष्य बन जाते हैं और कहते हैं- जहाँ पाचँ सिख इकटठे होंगे, वहीं में निवास करूँगां । उन्होंने सभी जातियों के भेद-भाव को समाप्त करने समानता स्ािापित की और उनमें आत्म-सम्मान की भावना भी पैदा की । दमदमा साहिब में आपने अपनी याद शक्ति और ब्रहबल से श्री गुरूग्रंथ साहिब का उच्चारण किया और लेखक भाई मनी सिंह जी ने गुरूबाणी को लिखा । गुरूजी रोज गुरूबाणी का उच्चारण करते थे और श्रद्धालुओं को गुरूबाणी के अर्थ बताते जाते और भाई मनी...

ADHIKMAS -2014

   अधिकमास  - 2014 पुरूषोत्तम मास /खरमास / अधिकमास / मलमास  वह मास है जिस चन्द्र मास में सूर्य की संक्रांति नहीं होती है और इस बार मलमास 16 दिसम्बर दिन सोमवार (प्रातः 4 बजकर 13 मिनट ) से शुरू होकर 13 जनवरी की मध्यरात्रि तक रहेगा । हिन्दू वर्ष में 12 माह होते हैं, लेकिन यह वर्ष करीब 13 माह का होगा । 12 चंद्र मास लगभग 354 दिन का होता है, जिसमें सूर्य की 12 संक्रांतियां होती हैं ।  मान्यता यह है कि मलमास के प्रारम्भ होते ही शुभ मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है क्योंकि सूर्य और गुरू  दोनों ग्रहों का मिलान होने के कारण ही मलमास होता है । इस मलमास में दान पुण्य और सेवा करने का बहुत महत्व है जिससे मनुष्य के ग्रहों की शांति और रोग मुक्त होते हैं । मलमास में भगवान शिव व विष्णु देव की स्तुति करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है । श्लोक और मंत्र का जप से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है: मंत्र - गोवद्र्धरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम् । गोकुललोत्सववमीशानं गोविंन्दं गोपिकाप्रियम् ।। मलमास में पूरे माह व्रत का पालन करते हैं, उन्हे...

(45) YASHOR SHAKTI PEETH

(45) यशोर शक्तिपीठ यशोर (जैसोर ) शक्तिपीठ ईश्वरीपुर, श्यामनगर, सतखिरा,  जैसोर खुलना, बांग्लादेश में स्थित है । इस स्थान पर सती की बाईं हथेली गिरी थी । इस मंदिर में देवी को यशोेरेश्वरी और भगवान शिव को भैरव ‘‘चांद’’ के रूप में पूजा जाता है । यह शक्तिपीठ बांग्लादेश के तीसरे सबसे महत्वपूर्ण शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है ।  यहां आने वाले भक्तों की सभी इच्छाएं देवी पूर्ण करती है ।