Skip to main content

Gangaur Festival

x.kxkSj ioZ



x.kxkSj ioZ  fgUnw lekt esa pS= 'kqDy r`rh;k ds fnu  euk;k tkrk gSA ;g ioZ fo'ks"k rkSj ij dsoy fL=;ksa ds fy, gh gksrk gSA x.kxkSj ds fnu Hkxoku f'ko us ikoZrhth dks rFkk ikoZrhth us leLr L=h&lekt dks lkSHkkX; dk ojnku fn;k FkkA bl fnu lqgkfxusa nksigj rd ozr j[krh gSaA fL=;k¡ ukp&xkdj] iwtk&ikB dj g"kksZYykl ls ;g R;ksgkj eukrh gSaA x.kxkSj ioZ  pS= 'kqDy r`rh;k dks euk;k tkrk gS] bls xkSjh r`rh;k Hkh dgrs gSaA gksyh ds nwljs fnu ¼pkS= —".k çfrink½ ls tks dqekjh vkSj fookfgr ckfydk,¡ vFkkZr uofookfgrk,¡ çfrfnu x.kxkSj iwtrh gSa] os pS= 'kqDy f}rh;k ¼flatkjs½ ds fnu fdlh unh] rkykc ;k ljksoj ij tkdj viuh iwth gqbZ x.kxkSjksa dks ikuh fiykrh gSa vkSj nwljs fnu lk;adky ds le; mudk foltZu dj nsrh gSaA 


;g ozr fookfgrk yM+fd;ksa ds fy, ifr dk vuqjkx mRiUu djus okyk vkSj dqekfj;ksa dks mÙke ifr nsus okyk gSA blls lqgkfxuksa dk lqgkx v[k.M jgrk gSA x.kxkSj ozr ds fnu çkr% Luku djds xhys oL=ksa esa gh jgdj ?kj ds gh fdlh ifo= LFkku ij ydM+h dh cuh Vksdjh esa tokjs cksuk pkfg,A  bl fnu ls foltZu rd ozrh dks ,dkluk ¼,d le; Hkkstu½ j[kuk pkfg,A  bu tokjksa dks gh nsoh xkSjh vkSj f'ko ;k bZlj dk :i ekuk tkrk gSA tc rd xkSjhth dk foltZu ugha gks tkrk ¼djhc vkB fnu½ rc rd çfrfnu nksuksa le; xkSjhth dh fof/k&fo/kku ls iwtk dj mUgsa Hkksx yxkuk pkfg,A 


xkSjhth dh bl LFkkiuk ij lqgkx dh oLrq,¡ tSls dk¡p dh pwfM+;k¡] flanwj] egkoj] esg¡nh]Vhdk] fcanh] da?kh] 'kh'kk] dkty vkfn p<+kbZ tkrh gSaA  lqgkx dh lkexzh dks panu] v{kr] /kwi&nhi] uSos|kfn ls fof/kiwoZd iwtu dj xkSjh dks viZ.k fd;k tkrk gSA  blds i'pkr xkSjhth dks Hkksx yxk;k tkrk gSA  Hkksx ds ckn xkSjhth dh dFkk dgh tkrh gSA dFkk lquus ds ckn xkSjhth ij p<+k, gq, flanwj ls fookfgr fL=;ksa dks viuh ek¡x Hkjuh pkfg,A dq¡vkjh dU;kvksa dks pkfg, fd os xkSjhth dks ç.kke dj mudk vk'khokZn çkIr djsaA 


 pS= 'kqDy f}rh;k ¼flatkjs½ dks xkSjhth dks fdlh unh] rkykc ;k ljksoj ij ys tkdj mUgsa Luku djk,¡A pS= 'kqDy r`rh;k dks Hkh xkSjh&f'ko dks Luku djkdj] mUgsa lqanj oL=kHkw"k.k igukdj Mksy ;k ikyus esa fcBk,¡A blh fnu 'kke dks xkts&ckts ls ukprs&xkrs gq, efgyk,¡ vkSj iq#"k Hkh ,d lekjksg ;k ,d 'kksHkk;k=k ds :i esa xkSjh&f'ko dks unh] rkykc ;k ljksoj ij ys tkdj folftZr djsaA  blh fnu 'kke dks miokl Hkh NksM+k tkrk gSA


Comments

Popular posts from this blog

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ योग अनुसार आसन और प्राणायाम की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। बंध , क्रिया और मुद्रा में आसन और प्राणायाम दोनों का ही कार्य होता है। योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है। आसन से शरीर की हड्डियाँ लचीली और मजबूत होती है जबकि मुद्राओं से शारीरिक और मानसिक शक्तियों का विकास होता है। मुद्राओं का संबंध शरीर के खुद काम करने वाले अंगों और स्नायुओं से है। मुद्राओं की संख्या को लेकर काफी मतभेद पाए जाते हैं। मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। हठयोग पर आधारित इस ग्रंथ को महर्षि घेरण्ड ने लिखा था। घेरंड में 25 और हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है , लेकिन सभी योग के ग्रंथों की मुद्राओं को मिलाकर कुल 50 से 60 हस्त मुद्राएँ हैं। मानव - सरीर अनन्त रहस्यों से भरा हुआ है । शरीर की अपनी एक मुद्रामयी भाषा है । जिसे करने स

Elephant Pearl ( Gaj Mani)

हाथी मोती ( गज मणि ) गज मणि हल्के हरे - भूरे रंग के , अंडाकार आकार का मोती , जिसकी जादुई और औषधीय  शक्ति    सर्वमान्य   है । यह हाथी मोती   एक लाख हाथियों में से एक में पाये जाने वाला मोती का एक रूप है। मोती अत्यंत दुर्लभ है और इसलिए महंगा भी है जिस किसी के पास यह होता है वह बहुत भाग्यषाली होता है इसे एक अनमोल खजाने की तरह माना गया है । इसके अलौकिक होने के प्रमाण हेतु अगर इसे साफ पानी में रखा जाए तो पानी दूधिया हो जाता है । इसी तरह अगर स्टेथोस्कोप से जांचने पर उसके दिन की धड़कन सुनी जा सकती है । अगर इसे हाथ में रखा जाता है तो थोड़ा कंपन महसूह किया जा सकता है ।   अगर गज मणि को आप नारयिल पानी में रखत हैं तो बुलबुले पैदा होने लगते हैं और पानी की मात्रा भी कम हो जाती है । चिकित्सकीय लाभ में जोड़ों के दर्द , बच्चे न पैदा होने की असमर्थता के इलाज और तनाव से राहत के

पुष्कर - पौराणिक एवं धार्मिक महत्व

पुष्कर - पौराणिक एवं धार्मिक महत्व पुष्कर ब्रह्मा के मंदिर और ऊँटों के व्यापार मेले के लिए प्रसिद्ध है। पुष्कर का शाब्दिक अर्थ है तालाब और पुराणों में वर्णित तीर्थों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। राजस्थान के शहर अजमेर में कई पर्यटन स्थल है जिनमें से ये एक है। अनेक पौराणिक कथाएं इसका प्रमाण हैं। यहाँ से प्रागैतिहासिक कालीन पाषाण निर्मित अस्त्र - शस्त्र मिले हैं , जो उस युग में यहाँ पर मानव के क्रिया - कलापों की ओर संकेत करते हैं। हिंदुओं के समान ही बौद्धों के लिए भी पुष्कर पवित्र स्थान रहा है। भगवान बुद्ध ने यहां ब्राह्मणों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी। फलस्वरूप बौद्धों की एक नई शाखा पौष्करायिणी स्थापित हुई। शंकराचार्य , जिन सूरी और जिन वल्लभ सूरी , हिमगिरि , पुष्पक , ईशिदत्त आदि विद्वानों के नाम पुष्कर से जुड़े हुए हैं।   चैहान राजा अरणोराज के काल में विशाल शास्त्रार्थ हुआ था। इसमें अजमेर के जैन विद्वान जिन सूरी और ज