कछुआ - शुभता एवं सकारात्मक उर्जा का प्रतीक
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु का एक रूप कछुआ भी है। समुद्र मंथन के समय भगवान कछुआ भगवान विष्णु का एक अवतार रहा है। कछुआ शांति, धैर्य, निरंतरता और समृद्धि का प्रतीक है। विष्णु ने कछुए का रूप धारण किया था। धार्मिक रूप में कछुआ सौभाग्यशाली माना जाता है। इसलिए कछुए की पूजा भी होती है। वास्तु शास्त्र में कछुए के कई गुण गिनाये गए हैं। जो आपको हर तरह से फायदा दे सकता है। कछुआ लंबे समय तक जीता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार कछुआ घर पर रखना भी शुभ माना जाता है।
यदि आप स्वस्थ कछुआ अपने घर में रखते हैं तो आपकी आयु लंबी होती है। साथ ही घर में किसी भी तरह की धन की कमी नहीं रहती है और घर परिवार भी सुरक्षित रहता है। कछुए को रखने से सकारात्मक उर्जा घर में बनी रहती है। कछुआ जिसकी पीठ पर बच्चे कछुए भी हों, उसे संतान प्राप्ति के लिए खास माना जाता है। जिस घर में संतान ना हो या जो दंपत्ति संतान सुख से वंचित हों,
उन्हें इस प्रकार का कछुआ अपने घर में रखना चाहिए। कछुआ धन प्राप्ति का भी सूचक माना गया है। यदि किसी को धन संबंधी परेशानी हो, तो उसे क्रिस्टल वाला कछुआ लाना चाहिए। इसे वह अपने कार्यस्थल या तिजोरी में भी रख सकते हैं। बीमारियों से बचने के लिए घर में मिटटी का बना कछुआ रखना सबसे अच्छा माना जाता है। नई दूकान में चांदी का बना कछुआ रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यापार को किसी की बुरी नजर नहीं लगाती। बरकत और खुशहाली के लिए कछुआ उत्तर दिषा में रखें ।
उत्तर दिशा को धन की दिशा माना गया है। इसके अलावा पूर्व दिशा में भी कछुए को रखा जा सकता है। बस इतना ध्यान रखें कि कछुए का मुंह घर के अंदर की ओर रहे। व्यापार और करियर दोनों की तरक्की के लिए धातु से बना हुआ कछुआ लेकर उसे पानी से भरे बर्तन में उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।
कछुए को कभी भी शयन कक्ष में नहीं रखना चाहिए। कछुआ के लिए सबसे बढ़िया स्थान बैठक घर यानी ड्राईंग रूम होता है। संतान की प्राप्ति के लिए घर में ऐसा कछुआ रखें, जिसकी पीठ पर बच्चे वाला कछुआ हो। घर में हमेशा ही क्लेश, लड़ाई- झगड़ों आदि का माहौल रहने पर कछुए का जोड़ा रखने से माहौल सकारात्मक होता हैं। कछुआ नजर दोष खत्म करता है हर बुरी नजर से आपकी व आपके परिवार की रक्षा करता है।
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