अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस -2016
हर वर्ष 8 मार्च को विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन सम्पूर्ण विश्व की महिलाएँ देश, जात-पात, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर इस दिन को मनाती हैं। महिला दिवस पर स्त्री की प्रेम, स्नेह व मातृत्व के साथ ही शक्तिसंपन्न स्त्री की मूर्ति सामने आती है। नारियों में अपरिमित शक्ति और क्षमताएँ विद्यमान हैं। व्यवाहरिक जगत के सभी क्षेत्रों में उन्होने कीर्तिमान स्थापित किये हैं। अपने अदभुत साहस, अथक परिश्रम तथा दूरदर्शी बुद्धिमत्ता के आधार पर विश्वपटल पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहीं हैं। मानवीय संवेदना, करुणा, वात्सल्य जैसे भावो से परिपूर्ण अनेक नारियों ने युग निर्माण में अपना योगदान दिया है। इक्कीसवीं सदी की स्त्री ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है और काफी हद तक अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीख लिया है।
आज के समय में स्त्रियों ने सिद्ध किया है कि वे एक-दूसरे की दुश्मन नहीं, सहयोगी हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सभी विकसित, विकासशील देशों में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने व उन महिलाओं को याद करने का दिन है जिन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किए। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी महिलाओं के समानाधिकार को बढ़ावा और सुरक्षा देने के लिए विश्वभर में कुछ नीतियाँ, कार्यक्रम और मापदंड निर्धारित किए हैं। सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के बाद सृष्टि सृजन में यदि किसी का योगदान है तो वो नारी का है। अपने जीवन को दांव पर लगा कर एक जीव को जन्म देने का साहस ईश्वर ने केवल महिला को प्रदान किया है। हालाँकि तथा-कथित पुरुष प्रधान समाज में नारी की ये शक्ति उसकी सबसे बड़ी कमजोरी मानी जाती है।
आज समाज के दोहरे मापदंड नारी को एक तरफ पूज्यनीय बताते है तो दूसरी ओर उसका शोषण करते हैं। यह नारी जाति का अपमान है। औरत समाज से वही सम्मान पाने की अधिकारिणी है जो समाज पुरुषों को उसकी अनेकों गलतियों के बाद भी पुनः एक अच्छा आदमी बनने का अधिकार प्रदान करता है। नई सदी की नारी के पास कामयाबी के उच्चतम शिखर को छूने की अपार क्षमता है। उसके पास अनगिनत अवसर भी हैं। जिंदगी जीने का जज्बा उसमें पैदा हो चुका है। दृढ़ इच्छाशक्ति एवं शिक्षा ने नारी मन को उच्च आकांक्षाएँ, सपनों के सप्तरंग एवं अंतर्मन की परतों को खोलने की नई राह दी है। इंद्रा नूई, चन्द्रा कोचर, नैना लाल किदवई, किरण मजुमदार, मजुमदार शॉ, स्वाति पिरामल, चित्रा रामकृष्णा,जैसी अनेक महिलाएं आज वाणिज्य जगत में प्रतिष्ठित कंपनियो की सीईओ बनकर बहुत ही सफलता पूर्वक अपने कार्य को अंजाम दे रही हैं।
नारी की साहसिक यात्रा अपने आकाश के साथ स्वतंत्रता की सांस ले रही है। आज महिलाएं फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपनी बातें शेयर कर रही हैं। देश दुनिया की खबर रखती आज की नारी घर और दफ्तर में बखुबी तालमेल स्थापित कर रहीं हैं। समय के साथ खुद को अपडेट करती हुई अपनी बेटी को भी स्वालंबी बना रहीं हैं।
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