महाशिवरात्रि -2016 - ( 7 मार्च -सोमवार ) पंचग्रही धनिष्ठा नक्षत्र शिव योग
देवों के देव महादेव की आराधना का महापर्व शिवरात्रि इस बार सोमवार के दिन शिवयोग धनिष्ठा नक्षत्र में 7 मार्च को है। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व भोले बाबा के प्रिय वार यानी सोमवार को मनाया जाएगा। सोमवार का दिन शिव का प्रिय दिन है एवं इस दिन दुर्लभ शिवयोग का संयोग श्रद्घालुओं के लिए विशेष फलकारी है। इस दिन पंचग्रही और चांडाल योग भी रहेगा। महाशिवरात्रि का पावन दिन सभी कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग का वरदान दिलाने वाला सुअवसर प्रदान करता है। अगर विवाह में कोई बाधा आ रही हो, तो महाशिवरात्रि पर इनकी पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रती को फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य से चारों प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर के पूजन में शिव पंचाक्षर -ओम् नमः शिवाय - मंत्र का जप करें। शास्त्रों में सोमवार को भगवान शंकर हेतु विशेष माना जाता है क्योंकि सोमवार चंद्रदेव को समर्पित है व भगवान शंकर को चंद्रशेखर भी कहा जाता है। भगवान शंकर के पूजन से सुख-समृद्धि मिलेगी। सात मार्च को मनाए जा रहे महाशिवरात्रि पर्व पंचग्रही व शिव योग में मनाया जाएगा। इस दिन कुंभ राशि में सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र व केतु का मिलन होगा। कुंभ राशि में पाच ग्रहों का यह योग महाशिवरात्रि पर चारों प्रहर की पूजा करने वाले शिव भक्तों को स्थिर लक्ष्मी व अरोग्यता प्रदान करेगा। जो व्यक्ति पूरे वर्ष कोई उपवास नहीं रखता है, लेकिन वह केवल शिवरात्रि का ही व्रत कर लेता है तो उसे साल भर किए जाने वाले उपवासों के बराबर फल की प्राप्ति होती है ।
महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को किया जाता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं, अर्थात शिव की तिथि चतुर्दशी है। रात्रि में व्रत किए जाने के कारण इस व्रत का नाम शिवरात्रि होना सार्थक हो जाता है। स्कन्दपुराण के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिव पूजन, जागरण और उपवास करने वाले को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है। रात्रि के समय स्वयं शिवजी भ्रमण करते हैं, अतः उपरोक्त समय में पूजन करने से मनुष्यों के पाप दूर हो जाते हैं। प्रत्येक शिवभक्त को शिवरात्रि का व्रत सदैव रखना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन कम से कम किसी एक गाय, बैल अथवा सांड को हरा चारा, गुड़ आदि अवश्य खिलाना चाहिए, इससे आपके ऊपर आया बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है।
महाशिवरात्रि पर एक छोटा सा पारद शिवलिंग घर में लाकर उसकी विधिवत स्थापना करें तथा प्रतिदिन धूप बत्ती, पुष्प आदि चढ़ा पूजा करें। इस उपाय से घर में साक्षात महालक्ष्मी का वास होता है। यदि वैवाहिक जीवन में समस्याएं हो तो किसी सुहागन स्त्री को सुहाग का सामान यथा लाल साड़ी, चूड़ियां, कुमकुम आदि उपहार में दें। गृहस्थ जीवन सुखमय हो जाएगा। शिवरात्रि पर जरूरतमंदों को कुछ न कुछ अवश्य दान दें।
धार्मिक मान्यतानुसार भगवान शंकर इस दिन संपूर्ण शिवलिंगों में प्रवेश करते हैं। शिव मनुष्य जीवन में सुख संपत्ति, ऋद्धि-सिद्धि, बल-वैभव, स्वास्थ्य, निरोगता, दीर्घायु, लौकिक-पारलैकिक सभी शुभ फलों के दाता हैं। शक्ति का हर रूप शिव के साथ ही निहित है। इसलिए महाशिवरात्रि पर शिव और शक्ति की संयुक्त रूप से आराधना करनी चाहिए। महाशिवरात्रि का पावन दिन सभी कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग का वरदान दिलाने वाला सुअवसर प्रदान करता है।
अगर विवाह में कोई बाधा आ रही हो, तो भगवान शिव और जगत जननी के विवाह दिवस यानी महाशिवरात्रि पर इनकी पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रती को फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य से चारों प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर के पूजन में शिव पंचाक्षर श्ओम् नमः शिवायश् मंत्र का जप करें। भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से पुष्प अर्पित कर भगवान की आरती और परिक्रमा करें। शुभ योग व चांडाल योग में शिव पूजन की विशेष मान्यता होने से भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करना विशेष फलदायी साबित होता है।
35 साल बाद अजब संयोग दिन और योग की वजह से ये शुभदायी शिवरात्रि पूरे 35 साल बाद पड़ रही है। मांगलिक दोष दूर होंगे जो लोग मांगलिक दोष वाले हैं उनके लिए यह शिवरात्रि काफी शुभ है वो इस दिन सुबह शंभू नाथ को जल चढ़ाये उनके सारे दोष दूर हो जायेंगे। धन लाभ आर्थिक तंगी से गुजर रहे लोग भी इस शिवरात्रि को भगवान शंकर की पूजा करें, धन लाभ होगा। ऊर्जा की रात्रि है महाशिवरात्रि - इस दिन साधक में सहज रूप से ही ऐसी ऊर्जा निर्मित होती है, जो उसे शिव के तीसरे नेत्र के समान एक नई आध्यात्मिक दृष्टि देने में सक्षम है। इस रात पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध की दशा कुछ ऐसी होती है कि मानव शरीर में सहज रूप से ऊर्जा ऊपर की ओर चढ़ती है। यह एक ऐसा दिन होता है, जब प्रकृति इनसान को उसके आध्यात्मिक शिखर की ओर ढकेल रही होती है। महाशिवरात्रि की पूरी रात आपको अपना मेरुदंड सीधा रखना चाहिए और जगे रहना चाहिए।
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