Skip to main content

डिप्रेशन - आज के समय की प्रमुख चुनौती

डिप्रेशन - आज के समय की प्रमुख चुनौती   

डिप्रेशन  मन की एक अवस्था है। यह एक शारीरिक व्याधि नहीं है; यह एक स्नायु विज्ञान (न्यूरोलॉजिकल) की अव्यवस्था नहीं है और यह बहुत विरले ही मस्तिष्क का ठीक कार्य करना होता है। यह निश्चित रूप से मन की एक स्थिति ही है। और मन, संपूर्ण शरीर उससे परे तक व्याप्त है। यही कारण है कि मन की संतुष्टि संपूर्ण शरीर को उसी प्रकार शांत कर देती है जैसे इस की बेचैनी पूरे तंत्र को अस्त व्यस्त कर देती है। रोगी के लक्षणों द्वारा डिप्रेशनकी गंभीरता का पता लगाया जा सकता है। 


हालाँकि मैं रोगी शब्द का प्रयोग कर रहा हूँ, वास्तव में यह एक विरोधाभास है। डिप्रेशन का कोई रोगी हो नहीं सकता क्योंकि यह एक रोग नहीं है जिससे कोई प्रभावित हो सकता हो। यह परस्पर टकराती वासनाओं का बेमेल होना मात्र है जिसे मन की प्रवृत्तियाँ कह कर भी जाना जाता है। मन ग़लत विधि से कार्य नहीं कर सकता चूँकि मन की वास्तविक अवस्था निर्मल आनंद है जो सभी प्रकार के व्यक्तिनिष्ठ चित्रांकन द्वन्दों से परे है। अच्छा-बुरा, सही-ग़लत, सच-झूठ इत्यादि ऐसे मनोनयन द्वन्दों के उदाहरण हैं।


हम सब जि़ंदग़ी में कभी कभी थोड़े समय के लिए नाख़ुश होते हैं मगर डिप्रेशन यानी डिप्रेशन उससे कहीं ज़्यादा गहरा, लंबा और ज़्यादा दुखद होता हैै। इसकी वजह से लोगों की जि़ंदगी से रुचि ख़त्म होने लगती है और रोज़मर्रा के कामकाज से मन उचट जाता है.


 डिप्रेशन के लिए कई चीज़ों की अहम भूमिका होती है यानि कि जि़ंदग़ी के कई अहम पड़ाव जैसे- किसी नज़दीक़ी की मौत, नौकरी चले जाना या शादी का टूट जाना, आम तौर पर डिप्रेशन की वजह बनते हैं इनके साथ ही अगर आपके मन में हर समय कुछ बुरा होने की आशंका रहती है तो इससे भी डिप्रेशन में जाने का ख़तरा रहता है. इसके तहत लोग सोचते रहते हैं मैं तो हर चीज़ में विफल हूँ.ै। डिप्रेशन के मेडिकल कारणों से भी लोगों को डिप्रेशन होता है, जिनमें एक है थायरॉयड की कम सक्रियता होना. कुछ दवाओं के साइड इफ़ेक्ट्स में भी डिप्रेशन हो सकता है. इनमें ब्लड प्रेशर कम करने के लिए इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाएँ शामिल हैं


डिप्रेशन के मुख्य लक्षणों में 1 मूड यानी मिज़ाज. सामान्य उदासी इसमें नहीं आती लेकिन किसी भी काम या चीज़ में मन लगना, कोई रुचि होना, किसी बात से कोई खुशी होनी, यहां तक गम का भी अहसास होना विचार यानी हर समय नकारात्मक सोच होनाशारीरिक जैसे नींद आना या बहुत नींद आना. रात को दो-तीन बजे नींद का खुलना और अगर यह दो सप्ताह से अधिक चले तो डिप्रेशन .़की निशानी है.
डिप्रेशन बिना किसी एक ख़ास कारण के भी हो सकता है. ये धीरे-धीरे घर कर लेता है और बजाए मदद की कोशिश के आप उसी से संघर्ष करते रहते हैं दिमाग़ के रसायन डिप्रेशन की हालत में किस तरह की भूमिका अदा करते हैं अभी तक ये भी पूरी तरह नहीं समझा जा सका है. मगर ज़्यादातर विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि ये सिर्फ़ दिमाग़ में किसी तरह के असंतुलन की वजह से ही नहीं होता

डिप्रेशन  उन लोगों को जो चुनौतीपूर्ण समय से गुज़र रहे होते हैं तो उनके डिप्रेशन में जाने की आशंका अधिक रहती है जिन लोगों के परिवार में डिप्रेशन का इतिहास रहा हो वहाँ लोगों के डिप्रेस्ड होने की आशंका भी ज़्यादा होती है. इसके अलावा गुणसूत्र 3 में होने वाले कुछ आनुवांशिकीय बदलावों से भी डिप्रेशन हो सकता है. इससे लगभग चार प्रतिशत लोग प्रभावित होते हैं दिमाग़ में रसायन जिस तरह काम करता है एंटी डिप्रेसेंट्स उसे प्रभावित करता है. मगर इन रसायनों की डिप्रेशन में क्या भूमिका होती है ये पूरी तरह समझी नहीं जा सकी है और एंटी डिप्रेसेंट्स सबके लिए काम भी नहीं करते.


दिमाग़ में न्यूरोट्रांसमिटर जिस तरह काम करते हैं उसका संतुलन भी डिप्रेशन के चलते बिगड़ जाता है. ये रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जो कि न्यूरॉन्स यानी दिमाग़ की कोशिकाओं के बीच संपर्क क़ायम करते हैं
डिप्रेशन से कैसे बचा जाय - पहला 1. नींद को नियमित रखना, 2. अच्छा खाना और समय पर खाना, 3. तनाव तो सभी को होता है लेकिन ऐसा विचार रखना कि इसे कैसे कम रखना है, 4. महत्वाकांक्षा को उतना ही रखना जितना हासिल करना संभव हो, 5. परिवार के साथ जुड़े रहना और 6. अपने कार्य में व्यस्त और मस्त रहना



सबसे आम तौर पर इस्तेमाल होने वाला एंटी डिप्रेसेंट वो है जो सेरोटॉनिन का स्तर दिमाग़ में बढ़ा देता है. इसके अलावा सेरोटॉनिन और नॉरएड्रीनेलिन री-अपटेक इनहिबिटर्स यानी एसएनआरआई नए एंटी डिप्रेसेंट हैं जो नॉरपाइनफ़्राइन को निशाना बनाते हैं डिप्रेशनके विषय में योगिक दृष्टिकोण वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कहीं अधिक गहन है। जहाँ विज्ञान मस्तिष्क का उपचार करता है, योग शास्त्र का ध्यान मन की ओर है।


Comments

Popular posts from this blog

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ योग अनुसार आसन और प्राणायाम की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। बंध , क्रिया और मुद्रा में आसन और प्राणायाम दोनों का ही कार्य होता है। योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है। आसन से शरीर की हड्डियाँ लचीली और मजबूत होती है जबकि मुद्राओं से शारीरिक और मानसिक शक्तियों का विकास होता है। मुद्राओं का संबंध शरीर के खुद काम करने वाले अंगों और स्नायुओं से है। मुद्राओं की संख्या को लेकर काफी मतभेद पाए जाते हैं। मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। हठयोग पर आधारित इस ग्रंथ को महर्षि घेरण्ड ने लिखा था। घेरंड में 25 और हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है , लेकिन सभी योग के ग्रंथों की मुद्राओं को मिलाकर कुल 50 से 60 हस्त मुद्राएँ हैं। मानव - सरीर अनन्त रहस्यों से भरा हुआ है । शरीर की अपनी एक मुद्रामयी भाषा है । जिसे करने स...

Elephant Pearl ( Gaj Mani)

हाथी मोती ( गज मणि ) गज मणि हल्के हरे - भूरे रंग के , अंडाकार आकार का मोती , जिसकी जादुई और औषधीय  शक्ति    सर्वमान्य   है । यह हाथी मोती   एक लाख हाथियों में से एक में पाये जाने वाला मोती का एक रूप है। मोती अत्यंत दुर्लभ है और इसलिए महंगा भी है जिस किसी के पास यह होता है वह बहुत भाग्यषाली होता है इसे एक अनमोल खजाने की तरह माना गया है । इसके अलौकिक होने के प्रमाण हेतु अगर इसे साफ पानी में रखा जाए तो पानी दूधिया हो जाता है । इसी तरह अगर स्टेथोस्कोप से जांचने पर उसके दिन की धड़कन सुनी जा सकती है । अगर इसे हाथ में रखा जाता है तो थोड़ा कंपन महसूह किया जा सकता है ।   अगर गज मणि को आप नारयिल पानी में रखत हैं तो बुलबुले पैदा होने लगते हैं और पानी की मात्रा भी कम हो जाती है । चिकित्सकीय लाभ में जोड़ों के दर्द , बच्चे न पैदा होने की असमर्थता के ...

Shri Sithirman Ganesh - Ujjain

श्री स्थिरमन गणेश - उज्जैन श्री स्थिरमन गणेश   एक अति प्राचीन गणपति मंदिर जो कि उज्जैन में स्थित है । इस मंदिर एवं गणपति की विशेषता यह है कि   वे न तो दूर्वा और न ही मोदक और लडडू से प्रसन्न होते हैं उनको गुड़   की एक डली से प्रसन्न किया जाता है । गुड़ के साथ नारियल अर्पित करने से गणपति प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की झोली भर   देते हैं , हर लेते हैं भक्तों का हर दुःख और साथ ही मिलती है मन को बहुत शान्ति । इस मंदिर में सुबह गणेश जी का सिंदूरी श्रंृगार कर चांदी के वक्र से सजाया जाता है ।   यहां सुबह - शाम आरती होती है जिसमें शंखों एवं घंटों की ध्वनि मन को शांत कर   देती है । इतिहास में वर्णन मिलता है कि श्री राम जब सीता और लक्ष्मण के साथ तरपन के लिए उज्जैन आये थे तो उनका मन बहुत अस्थिर हो गया तथा माता सीता ने श्रीस्थिर गणेश की स्थापन कर पूजा की तब श्री राम का मन स्थिर हुआ ...