बड़े हनुमान जी ( इलाहाबाद
)
आम
तौर पर जहां
दूसरे मंदिरों मे
भगवान की प्रतिमाएँ
सीधी खड़ी होती
हैं। वही इस
मन्दिर मे लेटे
हुए बजरंग बली
की पूजा होती
है। संगम के
निकट स्थित यह
एक अद्भुत एवं
अपने प्रकार का
अनोखा मन्दिर हैं
इस मन्दिर मे
हनुमान जी की
लेटी हुई प्रतिमा
हैं। और उनके
दर्शनार्थ लोगोँ को सीढियोँ
से उतर कर
नीचे जाना पडता
हैं। यह प्रतिमा
अत्यन्त विशाल एवं भव्य
हैं।
पौराणिक कथाओं
के मुताबिक लंका
विजय के बाद
भगवान् राम जब
संगम स्नान कर
भारद्वाज ऋषि से
आशीर्वाद लेने प्रयाग
आए तो उनके
सबसे प्रिया भक्त
हनुमान इसी जगह
पर शारीरिक कष्ट
से पीड़ित होकर
मूर्छित हो गए।
लंका विजय के
बाद बजरंग बलि
जब अपार कष्ट
से पीड़ित होकर
मरणा सन्न अवस्था
मे पहुँच गए
थे।
तो माँ
जानकी ने इसी
जगह पर उन्हे
अपना सिन्दूर देकर
नया जीवन और
हमेशा आरोअग्य व
चिरायु रहने का
आशीर्वाद देते हुए
कहा कि जो
भी इस त्रिवेणी
तट पर संगम
स्नान पर आयेंगा
उस को संगम
स्नान का असली
फल तभी मिलेगा
जब वह हनुमान
जी के दर्शन
करेगा। ऐसा विश्वास
किया जाता हैं
कि अंग्रजी शासन
ने इस मंदिर
को यहाँ से
हटवाने के आदेश
दिये किन्तु जैसे
जैसे मूर्ति को
हटाने के लिये
खुदाई की जाने
लगी वैसे वैसे
मुर्ति बाहर आने
के बजाय अन्दर
धसती गयी।
यही
कारण हैं कि
यह मंदिर गड्ढे
में हैं। संगम
के निकट स्थित
यह एक अद्भुत
एवं अपने प्रकार
का अनोखा मन्दिर
हैं इस मन्दिर
मे हनुमान जी
की लेटी हुई
प्रतिमा हैं। और
उनके दर्शनार्थ लोगोँ
को सीढियोँ से
उतर कर नीचे
जाना पडता हैं।
यह कहा जाता
है कि यहां
मांगी गई मनोकामना
अक्सर पूरी होती
है।
आरोग्य व
अन्य कामनाओं के
पूरा होने पर
हर मंगलवार और
शनिवार को यहां
मन्नत पूरी होने
का झंडा निशान
चढ़ने के लिए
लोग जुलूस की
शक्ल मे गाजे-बाजे के
साथ आते हैं।
मन्दिर में कदम
रखते ही श्रद्धालुओं
को अजीब सी
सुखद अनुभूति होती
है। भक्तों का
मानना है कि
ऐसे प्रतिमा पूरे
विश्व मे कहीं
मौजूद नहीं है।
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