Skip to main content

Sant Ravidas Jayanti

संत रविदास जयंती




संत रविदास जयंती 3 फरवरी (2015) एक महान संत और समाज सुधारक के रूप में मनायी जाती है । वे श्री राम के प्रबल भक्त थे । उनकी रचनाओं मध्ययुगीन काल के दौरान उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन को प्रेरित किया। संत रविदास, एक हिंदू समाज सुधारक, खुले तौर पर जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता जैसी सामाजिक असमानताओं और बुराइयों चुनौती दी।  सिखों के गुरु ग्रंथ साहिब में संत रविदास की 41 छंद हैं। 


यह लोकप्रिय बचपन से 1376. में  माघी पूर्णिमा के दिन पर पैदा हुए संत रविदास, वह आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए झुकाव दिखाया है कि माना जाता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता के इस उत्साह इस सब के जीवन ले गए और जाति के आधार पर भेदभाव के खिलाफ लड़ाई में जुट गया और समानता के विचार का प्रचार किया। उत्तरी भारत में और महाराष्ट्र के भारतीय राज्य में पूजते हैं, वह त्ंअपकंेप संप्रदाय और सिखों के पद्रह भगत में से एक की सतगुरु है। 



उनकी भक्ति गीत और छंद भक्ति आंदोलन पर एक स्थायी प्रभाव बना दिया। एक उच्च आध्यात्मिक एकता के नाम पर सांप्रदायिक विभाजन के पार बढ़ावा देने के लिए जाती थी कि में दुनियावी। उन्होंने कहा कि एक नहीं है एक जाति (जाति) द्वारा लेकिन एक की क्रिया (कर्म) से और हर व्यक्ति को भगवान की पूजा और पवित्र ग्रंथों को पढ़ने का अधिकार है कि विख्यात है कि सिखाया है।


Comments

Popular posts from this blog

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ

हस्तमुद्रा - औषधीय एवं आध्यात्मिक लाभ योग अनुसार आसन और प्राणायाम की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। बंध , क्रिया और मुद्रा में आसन और प्राणायाम दोनों का ही कार्य होता है। योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है। आसन से शरीर की हड्डियाँ लचीली और मजबूत होती है जबकि मुद्राओं से शारीरिक और मानसिक शक्तियों का विकास होता है। मुद्राओं का संबंध शरीर के खुद काम करने वाले अंगों और स्नायुओं से है। मुद्राओं की संख्या को लेकर काफी मतभेद पाए जाते हैं। मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। हठयोग पर आधारित इस ग्रंथ को महर्षि घेरण्ड ने लिखा था। घेरंड में 25 और हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है , लेकिन सभी योग के ग्रंथों की मुद्राओं को मिलाकर कुल 50 से 60 हस्त मुद्राएँ हैं। मानव - सरीर अनन्त रहस्यों से भरा हुआ है । शरीर की अपनी एक मुद्रामयी भाषा है । जिसे करने स

Elephant Pearl ( Gaj Mani)

हाथी मोती ( गज मणि ) गज मणि हल्के हरे - भूरे रंग के , अंडाकार आकार का मोती , जिसकी जादुई और औषधीय  शक्ति    सर्वमान्य   है । यह हाथी मोती   एक लाख हाथियों में से एक में पाये जाने वाला मोती का एक रूप है। मोती अत्यंत दुर्लभ है और इसलिए महंगा भी है जिस किसी के पास यह होता है वह बहुत भाग्यषाली होता है इसे एक अनमोल खजाने की तरह माना गया है । इसके अलौकिक होने के प्रमाण हेतु अगर इसे साफ पानी में रखा जाए तो पानी दूधिया हो जाता है । इसी तरह अगर स्टेथोस्कोप से जांचने पर उसके दिन की धड़कन सुनी जा सकती है । अगर इसे हाथ में रखा जाता है तो थोड़ा कंपन महसूह किया जा सकता है ।   अगर गज मणि को आप नारयिल पानी में रखत हैं तो बुलबुले पैदा होने लगते हैं और पानी की मात्रा भी कम हो जाती है । चिकित्सकीय लाभ में जोड़ों के दर्द , बच्चे न पैदा होने की असमर्थता के इलाज और तनाव से राहत के

Shri Sithirman Ganesh - Ujjain

श्री स्थिरमन गणेश - उज्जैन श्री स्थिरमन गणेश   एक अति प्राचीन गणपति मंदिर जो कि उज्जैन में स्थित है । इस मंदिर एवं गणपति की विशेषता यह है कि   वे न तो दूर्वा और न ही मोदक और लडडू से प्रसन्न होते हैं उनको गुड़   की एक डली से प्रसन्न किया जाता है । गुड़ के साथ नारियल अर्पित करने से गणपति प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की झोली भर   देते हैं , हर लेते हैं भक्तों का हर दुःख और साथ ही मिलती है मन को बहुत शान्ति । इस मंदिर में सुबह गणेश जी का सिंदूरी श्रंृगार कर चांदी के वक्र से सजाया जाता है ।   यहां सुबह - शाम आरती होती है जिसमें शंखों एवं घंटों की ध्वनि मन को शांत कर   देती है । इतिहास में वर्णन मिलता है कि श्री राम जब सीता और लक्ष्मण के साथ तरपन के लिए उज्जैन आये थे तो उनका मन बहुत अस्थिर हो गया तथा माता सीता ने श्रीस्थिर गणेश की स्थापन कर पूजा की तब श्री राम का मन स्थिर हुआ । कहा जाता है कि राजा व