अधिकमास - 2014
पुरूषोत्तम मास /खरमास / अधिकमास / मलमास वह मास है जिस चन्द्र मास में सूर्य की
संक्रांति नहीं होती है और इस बार मलमास 16 दिसम्बर दिन सोमवार (प्रातः 4 बजकर 13
मिनट ) से शुरू होकर 13 जनवरी की मध्यरात्रि तक रहेगा । हिन्दू वर्ष में 12 माह होते
हैं, लेकिन यह वर्ष करीब 13 माह का होगा । 12 चंद्र मास लगभग 354 दिन का होता है,
जिसमें सूर्य की 12 संक्रांतियां होती हैं ।
मान्यता यह है कि मलमास के प्रारम्भ
होते ही शुभ मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है क्योंकि सूर्य और गुरू दोनों ग्रहों का मिलान होने के कारण ही मलमास
होता है । इस मलमास में दान पुण्य और सेवा करने का बहुत महत्व है जिससे मनुष्य के
ग्रहों की शांति और रोग मुक्त होते हैं । मलमास में भगवान शिव व विष्णु देव की
स्तुति करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है । श्लोक और मंत्र का जप
से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है: मंत्र -
गोवद्र्धरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम् ।
गोकुललोत्सववमीशानं गोविंन्दं गोपिकाप्रियम् ।।
मलमास में पूरे माह व्रत का पालन करते हैं, उन्हें जमीन पर ही
सोना चाहिए । व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति को केवल एक समय सादा भोजन करना चाहिए
एवं मंत्र जाप करना चाहिए । मास की समाप्ति पर स्नान, दान, जप करके अपने व्रतो का
उद्यापन करके ब्राहम्णों को भोजन कराना चाहिए एवं दान करें । अधिकमास के स्वामी
विष्णु अवतार कृष्ण जी हैं ।
इस मास में रामायण, गीती तथा अन्य धार्मिक व पौराणिक
ग्रंथों के दान साथ ही वस्त्रदान, अन्नदान, गुड़ और घी से बनी वस्तुओं का दान करने
अत्यधिक शुभ एवं महत्वपूर्ण माना जाता है ।
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