(44) विशालकाशी शक्तिपीठ - वाराणसी
वाराणसी भी विशालकाशी मणिकर्णिका
के रूप में जाना जाता है । कुछ लोगों को भी जगह विशालकाशी मणि करनीशक्ति के रूप
में मंदिर को संबोधित । यहां पर देवी मां मणिकर्णिका या मणिकर्णी के रूप में जाना जाता है । विशालकाशी शक्तिपीठ
मीर घाट के तट पर गंगा में वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है जो कि हिंदू देवी
माँ को समर्पित सबसे पवित्र मंदिर है ।
इस स्थान पर देवी की बालियां या आंखें सती
वाराणसी के इस पवित्र स्थान पर गिरी थी । वाराणसी के पवित्र भूगोल में छह अंक का
प्रतीक कहा जाता है । विश्वकाशी मंदिर का वार्षिक मंदिर त्यौहार में ढलते पखवाड़े
के काजली तीज (काला तृतीया) , तीसरे चंद्र दिन (तीज) को मनाया जाता है भाद्रपद ।
भारतीय बरसात के मौसम के आखिरी महीने में महिलाओं को इस समय चारों ओर काजली कहा
जाता है ।
‘‘कामुक’’ बरसात के मौसम गाने गाते हैं । पवित्र दिन महिलाओं द्वारा
भाइयों के कल्याण के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है । यह मंदिर विशेष रूप से पानी शरीर भी वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर के
साथ जुड़ा हुआ है । इस जगह की मान्यता है जो भी उनके मन में इच्छा हो विशेषकर
निःसंतान बच्चे और अविवाहित लड़कियों को बहुत जल्द ही अपने पति प्राप्त हो जाते हैं
।
हिन्दू धर्म मंे काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी है, जो भगवान शिव के त्रिशूल
पर विराजती है । यह शक्तिपीठ मां दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है और नवरात्र के
दौरान यहां पूजा-अर्चना का कई गुना फल प्राप्त होता है । हर वर्ष लाखों श्रद्धालु
इस शक्तिपीठ के दर्शन करने के लिए आते हैं । यहां आने वाले हिन्दू श्रद्धालु
विशालाक्षी को ‘‘मणिकर्णी ’’ के नाम से भी जानते हैं । यहां देवी सती के दाहिने
कान के कुंडल गिरे थे । देवी मां के रूप में विशालक्षी तथा भगवान शिव के रूप में
काल भैरव की पूजा करते हैं ।
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