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नाग पंचमी - 2016

नाग पंचमी -  2016






 सावन माह के दौरान शुक्ल पक्ष पंचमी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है आमतौर पर नाग पंचमी के दिन के बाद दो दिन बाद हरियाली तीज  का त्यौहार आता है महिलाएं नाग देवता की पूजा एवं सांप को दूध प्रदान करती हैं तथा वे अपने भाइयों एवं परिवार के कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित नाग चंद्रेश्वर मंदिर नागपचंमी के अवसर पर केवल वर्ष में एक बार ही खोला जाता है तब लाखों श्रद्धालु प्रार्थना एवं अनुष्ठान के लिए एकत्रित होते हैं नाग चंद्रेश्वर मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के 3 खंड में स्थित है इस मंदिर में पूजा करने के बाद जीवन के सभी कष्टों से राहत मिल जाती है महाकालेश्वर मंदिर में नाग चंद्रेश्वर मंदिर के अवसर पर 12.00 बजे प्रातः पट खोले जाते हैं और मंदिर वे केवल 24 घंटे के लिए खुले हैं .नाग पंचमी के अवसर पर उज्जैन के नाग चंद्रेश्वर मंदिर में पूजा का विधान है


नागचंद्रेश्वर मंदिर ( उज्जैन ) - सर्प दोष से मुक्ति
महाकालेश्वर मंदिर परिसर में नाग चंद्रेश्वर मंदिर स्थित है हिन्दू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है हिन्दू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है वैसे तो भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का, जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल में स्थित है इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है ऐसी मान्यता है कि इस दिन नागराज तक्षक स्वंय मंदिर में मौजूद रहते हैं



नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फेलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यंहा लाई गई थी उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है माना जाता है कि पूरी दुनिया में यह एक मात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शयया पर विराजमान हैं मंदिर में स्.थापित प्राचीन मूर्तियों में शिवजी, गणेशजी, और माँ पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शयया पर विराजित हैं शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं
पौराणिक कथा - सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी  



तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा के प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया नागचंद्रेश्वर मंदिर काफी प्राचीन है, परमार राजा भोज ने 1050 ईश्वी को इसका निर्माण करवाया था इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोधार करवाया था इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है






 भगवान शिव का एक अनूठा मिसाल है और एक दुर्लभ मूर्ति है - नागचंद्रेश्वर के रूप में शिव की यह दुर्लभ मूर्ति श्रावण के हिंदू पवित्र महीने में ही नागपंचमी पर भक्तों के लिए दर्शन के लिए खुला है भारत में नगा संस्कृति बहुत प्राचीन है के रूप में यह वास्तव में चमत्कारी है नागा अखाड़ों विभिन्न धार्मिक विनिर्देशों और नागचंद्रेश्वर दर्शन सभी अखाड़ों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है के अनुसार परिभाषित कर रहे हैं नागचंद्रेशवर दर्शन ही शुक्ल पक्ष श्रावण के महीने के पांचवें दिन जो साल के एक दिन पर होता है इस रूप में भगवान शिव अधिक के करीब या चाँद है कि सांप और चंद्र कि नागाओं के साथ जुड़ा हुआ है नाग चंद्रेश्वर मंदिर की पूजा सभी दुःख और जीवन के कष्ट से राहत मिलती है कि कहा जाता है मंदिर के दरवाजे चैबीस घंटे के लिए खुले रखे जाते हैं जिससे मास पूजा और पूजा की जा सके


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