कांवड़ यात्रा - शिव भक्ति, धार्मिक एवं मनोवैज्ञानिक महत्व श्रावण मास में शिव आराधना का विशेष महत्व है। इस मास में शंकर जी की यथोपचार पूजा , अमर कथा का पाठ करने या सुनने पर लौकिक कष्टों से मुक्ति मिलती है जिनमें पारिवारिक कलह , अशांति , आर्थिक हानि और कालसर्प योग से आने वाली बाधा शामिल है। इस प्रकार श्रावण मास में शिव पूजा से ग्रह बाधाओं और परेशानियों का अंत होता है। ऐसा माना जाता है कि जब सारे देवता श्रावण मास में शयन करते हैं तो भोलेनाथ का अपने भक्तों के प्रति वात्सल्य जागृत हो जाता है। कांवड़ का जल केवल 12 ज्योर्तिलिंगों और स्वयंभू शिवलिंगों ( जो स्वयं प्रकट हुए हैं ) पर ही चढ़ाया जाता है। पांच प्रकार की होती है कांवड़ - बैठी कांवड़ , खड़ी कांवड़ , दंडौती कांवड़ , मन्नौती कांवड़ , डाक कांवड़ । शिव से संबंधित आयोजनों में व्रत , उपवास और तपस्या का ही माहात्म्य है। सावन निराकार शिव की आराधना का महीना है। कहते हैं कि देवशयनी