होली - बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार होली भारत के सबसे पुराने पर्वों में से एक है। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है. होली में जितना महत्व रंगों का है उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है. क्योंकि ये वही दिन होता है जब आप अपनी कोई भी कामना पूरी कर सकते हैं किसी भी बुराई को अग्नि में जलाकर खाक कर सकते हैं, और इस बार तो ये मुहूर्त बेहद खास है । होली की हर कथा में एक समानता है कि उसमें ‘असत्य पर सत्य की विजय’ और ‘दुराचार पर सदाचार की विजय’ का उत्सव मनाने की बात कही गई है। इस प्रकार होली मुख्यतः आनंदोल्लास तथा भाई-चारे का त्यौहार है। यह लोक पर्व होने के साथ ही अच्छाई की बुराई पर जीत, सदाचार की दुराचार पर जीत व समाज में व्याप्त समस्त बुराइयों के अंत का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता व दुश्मनी को भूलकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं और फिर ये दोस्त बन जाते हैं। होलिका पूजन के समय सभी को एक लोटा जल, कुँकू, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड, साबुत हल्दी, मूँग, बताशे, गुलाल और नारियल आदि से पूजन करना चाहिए। सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल