कछुआ - आध्यात्मिक महत्व देवालय में हमें कई देवताओं की मूर्ति के सामने स्थापित पत्थर या धातु से बने एक कछुआ की एक मूर्ति दिखती है । ऐसे मंदिर में देवता के दर्षन का अधिकतम लाभ लेने के लिए हमें इस तरह खड़ा होना चाहिए की देवता की मूर्ति और कछुआ की मूर्ति एक काल्पनिक रेखा में हो दोनों के बीच कभी भी खड़े न हों एक बैठें । कछुआ वास्तु में और फेंगषुई में दोनों में अपना महत्व रखता है । भारतीय मंदिरों में शिवलिंग के सामने जमीन पर कछुआ मूर्ति देखी जा सकती है । कछुआ की दीर्ध आयु होती है इसलिए इसे वास्तु में लंबे जीवन को दर्शाता है । कछुआ मिटटी , धातु या लकड़ी का बना कर घर पर रखा जा सकता है । मिटटी से बने कछुए को उत्तर पूर्व , कंेद्र या दक्षिण पश्चिम में रखना चाहिए । धातुओं से बने कछुए को उत्तर पश्चिम और उत्तर पश्चिम में रखा जाता है । क्रिस्टल से बने कछुए की मूर्ति को पश्चिम दक्षिण या उत्तर पश्चिम में रखा जाता है ।